नई दिल्ली।अपनी मांगों को लेकर राजधानी कूच कर रहें पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों ने कल अपना प्रदर्शन खत्म कर दिया। प्रदर्शन कर रहें किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि अगर केंद्र सरकार उनकी एक भी मांग नहीं मानती है तो वो आंदोलन नहीं रुकेंगे।
राजधानी में एक महीने के लिए धारा 144 लागू
किसानों के प्रदर्शन को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर हरियाणा के दिल्ली सीमा से सटे 7 जिलों में अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार,फतेहाबाद, सिरसा में इंटरनेट 15 फरवरी रात 12 बजे तक बंद कर दी गई हैं। इसके अलावा राजस्थान के 3 जिलों में भी इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इन राज्यों के 15 जिलों में धारा 144 लागू हैं। किसानों को रोकने के लिए हरियाणा और दिल्ली के सिंघु-टीकरी बॉर्डर तथा उत्तरप्रदेश से सटा गाजीपुर बॉर्डर सील हैं। इसके साथ साथ राजधानी में एक महीने के लिए धारा 144 भी लागू कर दी गई है।
क्या है किसानों की मांगें
- सभी फसलों की MSP पर खरीद की गारंटी का कानून बने।
- डॉ स्वमीनाथन आयोग की रिपोर्ट के हिसाब से कीमत तय हो।
- किसान खेत मजदूरों कर्जा माफ हो और उन्हें पेंशन ।
- मनरेगा के मजदूरों को साल में कम से कम 200 दिन काम और 700 रुपये दैनिक मजदूरी ।
- किसान आंदोलन में मृत किसानों के परिवारों को मुआवजा, सरकारी नौकरी मिले।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 कानून फिर से लागू किया जाए।
- नकली बीज कीटनाशक दवाइयां व खाद वाली कंपनियां पर कड़ा कानून बने।
- मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन
- लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा।
- मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाई जाए।
- विधुत संसोधन विधेयक 2020 को रद्द कर दिया जाए।
- संविधान की 5 सूची को लागू कर आदिवासियों की जमीन की लूट बंद की जाए।
पिछला किसान आंदोलन
- किसान आंदोलन पिछली बार 378 दिनों तक चला था।
- 17 सितंबर 2020 को किसानों ने लोकसभा द्वारा पारित कृषि बिल के तीनों कानून के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन किया था।
- मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि आंदोलन में करीब 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई थी।
- प्रधानमंत्री द्वारा कानून वापस लेने के बाद 11 दिसंबर 2021 को आंदोलन खत्म करने का ऐलान किया।