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कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट में फिर तनातनी

कॉलेजियम सिस्टम पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट में फिर तनातनी, कानून मंत्री की CJI को चिट्ठी- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में हमारे प्रतिनिधि शामिल करें

केंद्र सरकार की सुप्रीम कोर्ट को सलाह । कोलेजियम सिस्टम में केंद्र सरकार अपना प्रतिनिधि चाहती है। जिसको लेकर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी है। रिजिजू ने चिट्ठी के माध्यम से कहा कि कोलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि होने से पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा।

कोलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध जारी

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है। जिसमे रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में केंद्र के प्रतिनिधियों को शामिल करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। जनता की ओर जवाबदेही भी तय होगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए बनाए गए कोलेजियम सिस्टम को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध जारी है। सरकार सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम में अपना प्रतिनिधि चाहती है।

सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी- किरेन रिजिजू

दरअसल, नवंबर की शुरुआत में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने यह कहकर इस बहस को फिर से हवा दे दी थी कि नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली ‘अपारदर्शी’ है और इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। वहीं, 15 दिसंबर को उन्होंने राज्यसभा में अदालतों में मुकदमो के बढ़ते ढेर को निपटाने के प्रयास और न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जब तक न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर नई व्यवस्था खड़ी नहीं की जाएगी तब तक न्यायाधीशों के खाली पड़े पदों का मुद्दा और नियुक्तियों पर सवाल उठते ही रहेंगे। आपको बता दें कि लोकसभा उपाध्यक्ष भी इस पर अपनी राय रख चुके हैं उन्होंने कहां कि सुप्रीम कोर्ट अक्सर विधायिका के कामकाज में दखलंदाजी करता है।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जताई आपत्ति

बताते चलें की केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के इस पत्र पर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आपत्ति जताई है। अरविंद केजरीवाल का कहना है की “ये बेहद खतरनाक है। न्यायपालिका में नियुक्ति में सरकार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।” उनके इस ट्वीट पर जवाब देते हुए किरण रिजिजू ने कहा, की आशा करता हूँ कि आप अदालत के निर्देश का सम्मान करेंगे! यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद्द करते हुए सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के निर्देश की फॉलो-अप कार्रवाई है। SC की संविधान पीठ ने कॉलेजियम प्रणाली के MoP (मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर) को पुनर्गठित करने का निर्देश दिया था।

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