नई दिल्ली। बजट सत्र के दौरान बीजेपी सरकार ने सदन में व्हाइट पेपर पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सितारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर 59 पेज का श्वेत पत्र पेश करते हुए कहा कि 2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी थी तो भारतीय अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी। देश में इकोनॉमिक मिसमैनेजमेंट और करप्शन का दौर था। लेकिन उसके बाद मोदी सरकार के फैसले ने आज देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की पाँचवी सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था बना दी है। सरकार ने तीन पार्ट में अपना श्वेत पेपर पेश किया है।
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इससे पहले कांग्रेस ने वर्तमान सरकार के खिलाफ श्वेत पेपर के जवाब में ब्लैक पेपर जारी किया। इस लेख में जानते है। क्या है ब्लैक और व्हाइट पेपर?
क्या होता है व्हाइट पेपर ?
व्हाइट पेपर एक सरकारी दस्तावेज होता है, जो सरकार द्वारा जारी किसी विशेष मुद्दे पर जानकारी और फैक्ट्स देता है। इस दस्तावेज का उपयोग सरकार के पॉलिसी निर्माण और अन्य ऐसे योजनाएं को आकार देने के लिए होता है जो देश के विकास के जरूरी होते है।
इस पेपर में विषय से जुड़ी सुझाव भी होते है। इसके अलावा सरकार इसमें पिछले सालों का खर्च और आमदनी का हिसाब भी इस पेपर के द्वारा बताती है।
सभी क्षेत्रों में होते है व्हाइट पेपर
सरकारी जानकारी के मुताबिक सबसे पहले 1922 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने उस दौरान हुए एक दंगे के सफाई में व्हाइट पेपर जारी किया था। पहले यह चर्चिल व्हाइट पेपर था। जो बाद में व्हाइट पेपर बना। व्हाइट पेपर जारी करने का अधिकार सरकार के साथ साथ अन्य निजी और सरकारी संस्थान को है। ये संस्था सरकार को आगे की रूप रेखा निर्धारित करने में मदद करती है। कॉर्पोरेट में भी व्हाइट पेपर का उपयोग किया जाता है। जिसके जरिए ये देखा जाता है कि कोई प्रोडक्ट कैसे परफ़ॉर्म कर रहा है।
ब्लैक पेपर क्या होता है ?
ब्लैक पेपर भी श्वेत पेपर की तरह होता है। इसमें मुद्दे और नीति का विश्लेषण किया गया होता है। इसमें पॉलिसी को लेकर राय दी जाती है। इस पेपर के जरिए सरकार या कंपनी की पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए जाते हैं।
इस पेपर का उपयोग चुनौती देने के लिए भी किया जाता है। जिसमें वर्तमान चल रही नीतियों की विफलता को सरकार बताने के साथ साथ ऑप्शन सुझाए जाते हैं ताकि सरकार इसमें बदलाव करें।
अन्य रंगों के पेपर का मतलब
- ग्रीन पेपर- सरकारी कामों का मसौदा होता है।
- ब्लू पेपर – तकनीक पर फोकस करता है। इसका मकसद सरकार और सरकारी संस्था किसी खास तकनीकी जानकारी देना है।
- पिंक पेपर – इसमें पॉलिसी पर चर्चा की जाती है। ये आम लोगों के लिए नहीं होता है।
- येलो पेपर – ये ऐसे दस्तावेज होते है, जो फाइनल हो चुके है। इसे प्री प्रिंट दस्तावेज कहा जाता है।