बलिया। खुद को जबरन रिटायर आईपीएस अफसर कहने वाले अमिताभ ठाकुर ने गुरुवार को बलिया में अपने लोकसभा चुनाव लड़ने की रणनीति का खुलासा किया है। इस दौरान उन्होंने यहां पुलिस अधीक्षक रहते हुए लाठीचार्ज पर माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि मातहत पुलिस अधिकारी के गलत फीडबैक पर वह सब कुछ हुआ।
करीब दो दशक पहले सोहांव कांड को लेकर अमिताभ ठाकुर ने कहा कि यदि मुझसे गलती हुई तो मैं सोहांव गांव में जाकर लोगों से माफी माँगूंगा। हालांकि, कानून व्यवस्था को संभालने के लिए तात्कालिक निर्णय लेने पड़ते हैं। अमिताभ ठाकुर शहर के एक होटल में पत्रकारों से रूबरू थे।
इसके पहले वे बोर्ड परीक्षा के पर्चा लीक मामले में जेल गए। फिर शहीद पार्क में गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और साथ ही चित्तू पांडेय की प्रतिमा पर भी माल्यार्पण किया।
बालेश्वर नाथ मंदिर का दर्शन करने के बाद कहा कि मुझे जबरन रिटायर कर दिया गया। सरकार मेरे सामाजिक कार्यों से संतुष्ट नहीं थी। बलिया से चुनाव लड़ने का कारण यह है कि यहां काफी प्यार मिला। यह बागी जिला है। मैं खुद भी बागी हूं। ऐसा लोग कहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यहां से निकटता महसूस होती है। क्योंकि मैं बिहार का हूं। भाषा और परंपराएं मिलती हैं और मैं मानता हूं कि मेरे पास अभी कोई टीम नहीं है। सबसे पहले मैं यहां के लोगों का विश्वास अर्जित करूंगा। मैं यहां अधिकार सेना पार्टी की टीम खड़ी करूंगा। जाति धर्म की राजनीति नहीं करूंगा। क्योंकि ऐसी राजनीति देश को खोखला कर रही है। मेरे विचार में लोगों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। जैसे दिल्ली और पांजब में प्रयोग हुए है, यूपी में भी एक नया प्रयोग सफल हो सकता है। उन्होंने कहा कि 2024 में अधिक लोगों को लड़ाएंगे। हालांकि, वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उम्मीदवार देने के सवाल पर कहा कि अभी कोई वैसा व्यक्ति मिलेगा तब देखा जाएगा। क्योंकि मैंने गोरखपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा करके देख लिया है। सात महीने जेल में रहा था। कहा कि पार्टी ग्रासरूट लेवल पर ले जाएंगे और निकाय चुनाव भी मेरी पार्टी लड़ेगी।
वर्तमान सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ‘मात्र पर्चा लीक की खबर छापने पर यदि पत्रकार को जेल जाना पड़े तो यह तानाशाही की पराकाष्ठा है। वहीं, अमृत महोत्सव के तहत चल रहे तिरंगा अभियान पर कहा कि यह हमें संविधान ने दिया है। इसे कोई सरकार या दल कैसे दे सकता है। तिरंगा हमारे दिलों में है’।