सनातन धर्म में गीता और गीता जयंती का विशेष महत्व होता है। हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। वहीं इस दिन मोक्षदा एकादशी होती है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। कहा जाता है कि जो लोग प्रतिदिन गीता का पाठ करते हैं और इसके साथ ही बताए गए उपदेशों को जीवन में अपनाते हैं तो उन्हें जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है। गीता में बताई गईं बातें व्यक्ति को मोह माया के जाल से दूर ले जाती है। यह हमें सफलता के मार्ग पर ले जाती है। आइए तो जानते हैं कि इस साल गीता जयंती कब है, पूजा मुहूर्त क्या है और इसका महत्व क्या है।
गीता जंयती की शुभ तिथि
सनातन धर्म और हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। वहीं इस दिन मोक्षदा एकादशी होती है। इस साल गीता जयंती 3 दिसंबर को मनाई जाएगी। वही आपको बता दें कि ये श्रीमद भगवद गीता की 5159वीं वर्षगाँठ होगी।
सनातन धर्म में गीता जयंती का महत्व
भगवद गीता में मनुष्य के जीवन का संपूर्ण सार बताया गया है। जिसमें कर्मयोग और ज्ञानयोग से लेकर भक्तियोग के उपदेश शामिल है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान देकर अर्जुन को सांसारिक मोह से मुक्ति दिलाई थी। उन्होंने अर्जुन को सही-गलत का अंतर समझाया था।
दरअसअ ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन रणभूमि में अपने समक्ष सगे संबंधियों देखकर विचलित हो गए थे। इसलिए उसने शस्त्र उठाने से इनकार कर दिया था। उस समय भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के सारथी बने हुए थे। उन्होंने अर्जुन के ज्ञानचक्षु खोलने के लिए गीता उपदेश दिए थे। जिसके बाद अर्जुन ने मोह माया त्याग कर पूरी ताकत से युद्ध लड़ा और कौरवों को पराजित किया।
मान्यता के अनुसाक गीता व्यक्ति के विचारों का शुद्धिकरण करती है। गीता के उपदेश में इतनी शक्ति है कि इसका पढ़ने वाला और इसका पालन करने वाला मनुष्य अच्छे-बुरे को फर्क समझ आने लग जाता है। गीता के श्लोक में जीवन जीने की अद्भुत कला के बारे में समझाया गया है। इस दिन गीता का पाठ करने से भगवान श्रीकृष्ण की असिम कृपा प्राप्त होती है।
गीता जयंती की पूजा विधि
मान्यता के अनुसार गीता जयंती के दिन स्नान करके श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना चाहिए। गीता पाठ से पहले फूल, अक्षत से ग्रंथ की पूजा करें। इसके बाद पाठ की शुरुआत करें। इसके बाद संभव हो सके तो गीता ग्रंथ का बच्चों और लोगों में दान करें। इसके साथ ही अन्न, वस्त्र, और धन का दान भी कर सकते हैं। इससे भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।