यूपी पुलिस का डकैत रूप?
गाजीपुर Ghazipur में पुलिस के साथ मिलकर लूट, रंगदारी और उत्पीड़न की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई है। सीनियर एडवोकेट जनार्दन चौबे की पत्नी का देहांत हो गया तो वो मणिकर्णिका घाट वाराणसी में अंतिम संस्कार करके वापिस संत कबीरनगर अपने घर जा रहे थे। साथ में बेटे, परिवार के लोग रिश्तेदार थे। गाजीपुर में टोल प्लाजा पर उनके साथ जो वारदात हुई और उसके बाद किस तरह से उनसे ऑफलाइन और ऑनलाइन वसूली हुई वो FIR में दर्ज तथ्य खौफनाक हैं। मदद को आई पुलिस ने पीड़ितों को पीटा, पैसे छीने और ऑनलाइन लाखों रूपया ट्रांसफर कराया और टोल प्लाजा मैनेजर के साथ SHO ने मिलकर ये वारदात अंजाम दी।
क्या हुई कार्यवाई?
अभी तक गाजीपुर के एसपी ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि इस मामले में उच्च पुलिस अधिकारियों ने एसपी गाजीपुर पर कोई एक्शन भी नही लिया। एसएचओ अब तक न सस्पेंड हुआ और न उसे गिरफ्तार किया गया। टोल प्लाजा मैनेजर को भी बचाया जा रहा है। आरोप है इस टोल प्लाजा के माध्यम से वसूली की कई वारदात हुई लेकिन मिलीभगत के चलते सीनियर पुलिस अफसरों ने घटनाओं को दबाया।
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क्या निकलता निष्कर्ष?
गाजीपुर में हुई इस घटना के आधार पर यह स्पष्ट है कि जनसाधारण के लिए सुरक्षा और न्याय की दिशा में कई सवाल उठते हैं। इस घटना में पीड़ितों को न्याय पाने के लिए उच्च पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई की जरूरत है। विशेष रूप से, टोल प्लाजा मैनेजर के साथ जो वारदात हुई, उसकी जांच की जानी चाहिए और उन्हें जिम्मेदारी से निपटने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, एसपी गाजीपुर के खिलाफ भी जांच की जानी चाहिए और उनके द्वारा लिये गए कार्रवाई की जांच की जानी चाहिए। यह घटना न केवल न्याय की दिशा में बल्कि लोगों की सुरक्षा के प्रति भी एक सख्त संदेश होना चाहिए।