Ghosi Election 2023: उत्तर प्रदेश के मऊ की घोसी सीट के उपचुनाव के लिए प्रचार रविवार को थम गया। जिसके बाद अब पांच सितंबर को वोट डाले जाएंगे। वहीं सत्ताधारी बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों ने इस सीट पर जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में लगी हुई है। प्रचार के वक्त भी दोनों पार्टीयों ने अंतीम दिन भी अपनी पूरी ताकत झोंकी। इसके साथ ही राजनीतिक टीमों ने अपनी-अपनी जीत का भरोसा जताया है। वहीं दूसरी तरफ उपचुनाव में मतदान से पहले बसपा ने बड़ा खेला कर दिया है। बसपाई या तो घर बैठेंगे और अगर बूथ तक जाएंगे तो नोटा दबाएंगे। बसपा के इस निर्णय से घोसी के सियासी रण में हंगाने जैसी स्थिति है क्योंकि यहां 90 हजार से ज्यादा दलित वोटर हैं जो किसी भी चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का दम रखते हैं। बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है।
वहीं बात अगर पिछले चुनाव की भी की जाए तो बसपा पिछले चुनावों में बसपा उम्मीदवार को यहां अच्छे खासे वोट मिलते हैं। मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उप चुना का प्रचार बंद हो गया है। पांच सितंबर को यहां मतदान होगा। इस चुनाव को सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। इसके दो मुख्य कारण हैं। पहले ये कि दारा सिंह चौहान जो कांग्रेस से सपा, सपा से बसपा , बसपा से बीजेपी, बीजेपी से सपा और फिर बीजेपी के साथ आ गए है और यहां के चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। ऐसे में दारा सिंह पर पार्टी की दल-बदल को लेकर आरोप भी लगता रहा है, ऐसे में चुनाव जीतने की राह आसान नहीं है। दूसरा ये कि , लोकसभा चुनाव -2024 से पहले हो रहे इस चुनाव को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन बनाम इंजिया के रूप में देखा जा रहा है।
लखनऊ : घोसी उपचुनाव को लेकर BSP का नया दांव
‘बसपाई वोट देने ना जाएं, अगर जाएं तो नोटा दबाएं’
BSP के निर्णय से घोसी के सियासी रण में हलचल तेज
यहां 90 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति वोटर हैं
अनुसूचित वोटर किसी का भी बिगाड़ सकते हैं खेल@bspindia @Mayawati #BSP #GhosiByElection pic.twitter.com/V7cp4Xk4St
— News1Indiatweet (@News1IndiaTweet) September 4, 2023
चूंकि सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कांग्रेस, रालोद का भी यहां समर्थन मिला है तो इससे लड़ाई आमने सामने की हो गई है। दोनों ही गठबंधन इस बात को भली भांति जानते हैं कि इस चुनाव को जो जीतेगा उसे इसका बड़ा मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा। वहीं बसपा ने इस चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है। बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल कहते हैं कि पहले विधायकों को तोड़ने के लिए दल बदल कानून लाया गया। इससे दल बदल पर अंकुश लगा पर अब नई परिपाटी शुरू हो गई कि किसी सदस्य को इस्तीफा दिलाकर अपनी पार्टी में शामिल कर लो और फिर चुनाव लड़ा दो। इसका भार जनता पर जाता है। ऐसे चुनाव का हम बहिष्कार करते हैं। हमारे लोग चुनाव का बहिष्कार करेंगे। जो लोग जाएंगे भी तो वे नोटा दबाएंगे।