हाल ही में केंद्र सरकार ने गुजरात चुनाव से पहले बड़ा फैसला लिया है। दरअसल सोमवार यानी 31 अक्टूबर को फैसला लेते हुए कहा गया है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं सहित सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। बता दें कि नागरिकता कानून, 1955 के तहत वर्तमान में गुजरात के दो जिलों में रह रहे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है।
इस अधिनियम के तहत अब तक नियम नहीं बना
वहीं विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के बजाय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नागरिकता देने एक बड़ा कदम है। दरअसल सीएए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यकों जैसे हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का भी प्रावधान करता है। चूंकि सरकार द्वारा अधिनियम के तहत अब तक नियम नहीं बनाया गया है इसलिए अब तक इसके तहत किसी को भी नागरिकता नहीं दी गई।
आणंद और मेहसाणा के अलसंख्यकों को मिलेगी नागरिकता
वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की और एक अधिसूचना जारी की गई है जिसके अनुसार गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले अलसंख्यकों यानी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के तहत उन्हें भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की अनुमति दी जाएगी या फिर उन्हें देश कि नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया जाएगा।