Aak plant uses-आक का पौधा भारत में हर जगह देखने को मिल जाता है। लोग इसे मदार, मंदार या अर्क के नाम से भी जानते हैं। अक्सर यह सूखी, ऊँची और बंजर जमीन में पाया जाता है। आम धारणा यह है कि आक का पौधा जहरीला होता है और इंसान के लिए खतरनाक है। हालांकि, इसमें थोड़ी सच्चाई है क्योंकि आयुर्वेद में इसे ‘उपविष’ यानी हल्का विष माना गया है। ज़्यादा मात्रा में इसका सेवन करने से उल्टी-दस्त लग सकते हैं और गंभीर हालत बन सकती है।
लेकिन यदि इसकी सही मात्रा और विधि से अनुभवी वैद्य की निगरानी में इस्तेमाल किया जाए, तो यह कई बीमारियों के इलाज में असरदार साबित होता है। इसका हर भाग – पत्ते, जड़, दूध और फूल – किसी न किसी रूप में दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
आक की पहचान
इसका पौधा छोटा झाड़ी जैसा होता है। इसके पत्ते मोटे और बरगद की पत्तियों जैसे होते हैं। फूल छोटे, सफेद रंग के होते हैं, जिन पर नीले या बैंगनी रंग की चित्तियाँ होती हैं। इसके फल आम की तरह होते हैं और इनमें रूई जैसी रेशे होते हैं। इसकी टहनियों से दूध निकलता है जो हल्का जहरीला होता है।
आक के 9 चमत्कारी फायदे
शुगर और पेट की चर्बी:आक की पत्ती को उल्टा करके पैर के तलवे से लगाएं और ऊपर से मोजा पहन लें। दिनभर रखें और रात को हटा दें। एक हफ्ते में शुगर स्तर सामान्य हो सकता है और पेट की चर्बी भी कम होती है।
घाव और सूजन:इसके पत्तों को तेल में जला कर लगाने से सूजन और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। अंडकोष की सूजन में भी राहत मिलती है।
खांसी और चोट:आक की जड़ का चूर्ण काली मिर्च के साथ मिलाकर गोलियां बनाएं और खाएं, खांसी में राहत मिलती है। पत्तों को गर्म करके लगाने से सूजन भी दूर होती है।
सिर दर्द और खुजली:सूखी डंडी को जलाकर उसका धुआं नाक से खींचें, सिरदर्द दूर होता है। जड़ की राख को तेल में मिलाकर लगाने से खुजली ठीक होती है।
ज्वर और गठिया:जड़ को पीसकर या पकाकर सेवन करने से बुखार और जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।
बवासीर:आक का दूध मस्सों पर लगाने से वो सूख जाते हैं। इसकी विशेष दवा भी बनाई जाती है जिससे बादी बवासीर में लाभ होता है।
गंजापन और बाल उगाना:जहाँ बाल नहीं हैं वहाँ इसका दूध लगाने से बाल उग सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि आंख में न जाए।
कान का बहरापन:पत्तों को घी लगाकर गर्म करें और रस निचोड़ लें। उस रस की कुछ बूंदें कान में डालने से सुनाई देना बेहतर होता है।
दाद और खुजली:इसके दूध को हल्दी और तिल के तेल में मिलाकर लगाने से दाद और खुजली ठीक होती है।
नुकसान भी हैं, सावधानी ज़रूरी
आक का ताज़ा दूध और जड़ ज़्यादा मात्रा में लेने पर उल्टी, जलन और पेट की परेशानी हो सकती है। इसका इस्तेमाल हमेशा सीमित मात्रा में करें और बेहतर हो तो वैद्य की सलाह लें। नुकसान से बचने के लिए घी और दूध का सेवन सहायक माना गया है।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।