नई दिल्ली: भारत समेत दुनिया के कई देशों में पिछले कुछ वर्षों में पुरूषों में शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) में अच्छी-खासी गिरावट देखने को मिली है। एक स्टडी मे दावा किया गया है कि पूरी दुनिया के मर्दों में स्पर्म काउंट तेजी से कम हो रहे हैं इससे ना केवल प्रजनन पर प्रभाव पडेगा बल्कि पुरुषों मे कई तरीके कि बीमारियां भी बढेंगी। यह गिरावट तेजी से खराब होते पर्यावरण और तेजी से बदल रहे डेली रूटिन वर्क को दर्शाता है, जिसका व्यापक असर मानव प्रजाति के अस्तित्व पर पडता दिख रहा है। रिसर्चरों की मानें तो स्पर्म की घटती संख्या न केवल पुरुषों के खराब स्वास्थ्य का भी संकेत है बल्कि इसके कम स्तर का संबंध पुरानी बीमारी, अंड ग्रंथि के कैंसर और घटती उम्र के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। जीवनशैली और पर्यावरण रसायन भ्रूण के इस विकास पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं।
मंगलवार को जारी हुए एक रिसर्च पेपर में 53 देशों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें सात वर्षों (2011-2018) के आंकड़ों का कलेक्शन भी शामिल है। इसमें उन क्षेत्रों में पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिनकी पहले कभी समीक्षा नहीं की गयी जैसे कि दक्षिण अमेरिका, एशिया और अफ्रीका। इन आंकड़ों से पता चलता है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले पुरुषों में कुल शुक्राणुओं की संख्या (टीएससी) और शुक्राणु एकाग्रता में गिरावट देखी गयी है। जो पहले उत्तर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में देखी गयी थी। दुनियाभर में पिछले 46 सालों में शुक्राणुओं की संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है और हाल के वर्षों में यह और तेज हो गयी है।