medical stores: जब भी आप किसी मेडिकल स्टोर पर जाते हैं, तो वहां दवाइयों का एक बड़ा भंडार देखने को मिलता है। सैकड़ों हजारों दवाइयों के बीच स्टोर वाला झट से आपकी बताई दवा निकालकर दे देता है। यह देखकर अक्सर मन में सवाल आता है कि आखिर इतनी सारी दवाइयां उसे कैसे याद रहती हैं? क्या कोई खास तरीका होता है जिससे वे दवाइयों का सही जगह और नाम याद रखते हैं? आज हम इसी राज से पर्दा उठाने वाले हैं।
मेडिकल साइंस की तरक्की और दवाइयों की भरमार
मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि आज हर बीमारी का कोई न कोई इलाज मौजूद है। इसके चलते बाजार में हजारों तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं। मगर इतने सारे नामों को याद रखना किसी आम इंसान के बस की बात नहीं। लेकिन मेडिकल स्टोर पर बैठे लोग दवाइयों के नाम, ब्रांड और लोकेशन को बिना देर किए पहचान लेते हैं। यह कोई जादू नहीं, बल्कि एक खास सिस्टम के जरिए संभव होता है।
कैसे रखते हैं मेडिकल स्टोर वाले दवाइयों की याद
मेडिकल स्टोर के अंदर दवाइयों को इस तरह व्यवस्थित किया जाता है कि स्टोर संचालक को तुरंत पता चल जाता है कि कौन सी दवा कहां रखी है। इस व्यवस्था को अलग-अलग तरीकों से मैनेज किया जाता है बीमारियों के हिसाब से दवाइयों की व्यवस्था
कई मेडिकल स्टोर वाले दवाइयों को अलग-अलग बीमारियों के हिसाब से रखते हैं। जैसे
बुखार, सर्दी खांसी, जुकाम की दवाएं एक साथ
दिल, शुगर और ब्लड प्रेशर की दवाएं अलग सेक्शन में
एंटीबायोटिक्स और दर्द निवारक दवाएं अलग शेल्फ में
अल्फाबेट के आधार पर दवाइयों की व्यवस्था
कुछ मेडिकल स्टोर में दवाइयों को उनके नाम के पहले अक्षर के अनुसार रखा जाता है। जैसे
A से शुरू होने वाली दवाएं A सेक्शन में
B से शुरू होने वाली B सेक्शन में
अगर किसी एक अक्षर से बहुत ज्यादा दवाइयां हैं, तो उसके लिए दो अलग अलग शेल्फ बनाए जाते हैं, जैसे P1 और P2
डॉक्टर की लिखावट मेडिकल स्टोर वाले कैसे समझते हैं
अक्सर मरीजों को डॉक्टर की लिखावट समझ में नहीं आती, लेकिन मेडिकल स्टोर वाले झट से समझ जाते हैं। इसकी वजह यह है कि डॉक्टर मेडिकल टर्म्स और कोड का इस्तेमाल करते हैं, जो मेडिकल स्टोर संचालकों को पहले से पता होते हैं। कई बार अनुभव और प्रैक्टिस के चलते वे डॉक्टर की लिखावट को आसानी से पहचान लेते हैं।