Health News: आजकल सिरदर्द, मसल्स पेन, बुखार या आर्थराइटिस जैसे दर्द के लिए लोग अक्सर पेनकिलर दवाओं का सहारा लेते हैं। इनमें NSAIDs (नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स) सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती हैं। ये दवाएं सूजन और दर्द कम करने में तो असरदार हैं, लेकिन इनका लंबे समय तक या ज्यादा डोज में सेवन करने से किडनी में खून का प्रवाह कम हो सकता है, जिससे धीरे-धीरे किडनी डैमेज या फेल होने का खतरा बढ़ जाता है।
ज़ोलेड्रोनिक एसिड: हड्डियों के इलाज में असरदार लेकिन किडनी के लिए खतरनाक
रेक्लास्ट जैसी दवाएं ऑस्टियोपोरोसिस और कुछ खास तरह के कैंसर में दी जाती हैं। हालांकि, ये दवाएं उन लोगों के लिए हानिकारक हो सकती हैं जो पहले से किडनी की किसी बीमारी से परेशान हैं। डॉक्टर आमतौर पर किडनी फंक्शन ठीक न होने पर इस दवा से परहेज करने की सलाह देते हैं।
कोलोनोस्कॉपी से पहले ली जाने वाली दवाएं भी बना सकती हैं खतरा
कोलोन की सफाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कुछ लैक्सेटिव, खासकर ओरल सोडियम फॉस्फेट, किडनी पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसके कारण शरीर में फॉस्फेट क्रिस्टल बन जाते हैं जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इन्हें बड़ी सावधानी से लेना चाहिए।
ब्लड प्रेशर की दवाएं भी हो सकती हैं नुकसानदेह
लिसिनोप्रिल, एनालाप्रिल और रामिप्रिल जैसी दवाएं, जो ACE इनहिबिटर ग्रुप की हैं, हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दिल को सुरक्षित रखने में मदद करती हैं। लेकिन ये दवाएं किडनी के जरिए ही प्रोसेस होती हैं, जिससे लंबे समय तक इनके इस्तेमाल से किडनी पर असर पड़ सकता है।
कुछ एंटीबायोटिक और एंटीवायरल दवाएं भी बढ़ा सकती हैं खतरा
कुछ दवाएं शरीर में क्रिस्टल बना देती हैं जिससे पेशाब रुक सकता है और किडनी में सूजन या नुकसान हो सकता है। वहीं कुछ दवाएं सीधे किडनी की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं। इसलिए इन दवाओं का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
एसिडिटी की दवाएं भी नहीं हैं पूरी तरह सुरक्षित
ओमेप्राजोल (Prilosec) और एसोमेप्राजोल (Nexium) जैसी दवाएं जो प्रोटॉन पंप इन्हीबिटर (PPI) कैटेगरी में आती हैं, आमतौर पर एसिड रिफ्लक्स और गैस की दिक्कतों में दी जाती हैं। पर इनका लगातार इस्तेमाल करने से किडनी की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
डायरेटिक्स से भी बन सकता है प्रेशर
डायरेटिक्स वो दवाएं हैं जो शरीर में जमा एक्स्ट्रा पानी और नमक को पेशाब के जरिए बाहर निकालती हैं। ये आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर और सूजन के मरीजों को दी जाती हैं। लेकिन अगर इनका गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो किडनी पर जरूरत से ज्यादा दबाव पड़ सकता है।