Heart Health: दिल से जुड़ी बीमारियां दुनियाभर में जान का खतरा बन चुकी हैं। भारत में तो हर साल लाखों लोग हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी समस्याओं के चलते जान गंवा देते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर एक लाख लोगों में करीब 272 की मौत दिल की बीमारी से होती है। इसका सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल, गलत खान-पान और समय पर चेकअप ना कराना। अब इस चिंता के बीच एक बड़ी खुशखबरी आई है। वैज्ञानिकों ने एक नई दवा खोजी है जिसका नाम है लेपोडिसिरन (Lepodisiran)। ये दवा शरीर में मौजूद लिपोप्रोटीन(ए) को कम करने में कारगर साबित हो रही है। लिपोप्रोटीन वो तत्व होता है जो खून में कोलेस्ट्रॉल और फैट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाता है। लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा दिल की नसों को जाम कर सकती है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती है।
लिपोप्रोटीन(ए) क्यों है खतरनाक
कई लोगों को ये नहीं पता होता कि उनके शरीर में लिपोप्रोटीन(ए) की मात्रा ज्यादा है। ये समस्या जेनेटिक यानी आनुवंशिक होती है और इसका इलाज सिर्फ डाइट और एक्सरसाइज से नहीं हो सकता। यही वजह है कि अब तक इसकी कोई खास दवा नहीं थी। लेपोडिसिरन दवा इस समस्या को जड़ से खत्म करने में मदद कर सकती है। यह दवा उन जीन को दबा देती है जो लिपोप्रोटीन को बढ़ाते हैं। यानी, अब ये मुमकिन है कि जो खतरा आपको विरासत में मिला है, उससे भी राहत मिल सके।
स्टडी में मिले जबरदस्त नतीजे
अर्जेंटीना, चीन, जापान और कई दूसरे देशों में इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल हुआ। जिन्हें यह दवा दी गई, उनमें छह महीने के भीतर लिपोप्रोटीन(ए) का स्तर 100% तक कम हो गया। वहीं जिन लोगों को सिर्फ प्लेसबो यानी नकली दवा दी गई, उनमें ऐसा कोई असर नहीं दिखा। इस शोध को ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित किया गया है और हृदय रोग विशेषज्ञ इस खोज को एक गेम चेंजर मान रहे हैं।
अब क्या करना चाहिए?
डॉक्टरों का सुझाव है कि सभी को समय-समय पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराना चाहिए। अगर फैमिली हिस्ट्री में किसी को हार्ट प्रॉब्लम रही है, तो लिपोप्रोटीन(ए) की जांच जरूर करवाएं। शुरुआत में ही इस लेवल को जानकर दवा या जीवनशैली से उसे कंट्रोल करना आसान होगा।
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