Sleeping Paralysis: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी, गलत खान-पान और बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल का सीधा असर सेहत पर पड़ता है। नींद पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है, जिससे लोग अलग-अलग तरह के स्लीप डिसऑर्डर की चपेट में आ जाते हैं। इन्हीं में से एक है स्लीप पैरालिसिस। इसमें इंसान को ऐसा महसूस होता है कि वह जाग चुका है, लेकिन शरीर को हिला नहीं सकता। यह अनुभव काफी डरावना हो सकता है, क्योंकि उस समय इंसान को ऐसा लग सकता है कि कोई उसे जकड़ कर बैठा है। कई बार लोग इस दौरान अजीबोगरीब आवाजें सुनने या साया देखने जैसी बातें भी महसूस करते हैं।
स्लीप पैरालिसिस के लक्षण
अचानक नींद खुलने पर शरीर हिलाने में असमर्थता।
बोलने की कोशिश करने पर भी आवाज न निकलना।
ऐसा महसूस होना कि कोई भारी चीज शरीर पर रख दी गई हो।
घबराहट और बेचैनी महसूस होना।
कुछ लोगों को इस दौरान किसी के मौजूद होने या डरावनी आवाजें सुनने का अहसास भी होता है।
स्लीप पैरालिसिस के कारण
अधूरी नींद या गलत तरीके से जागना
अगर आप गहरी नींद से पूरी तरह नहीं जाग पाते तो आपका दिमाग तो जाग जाता है, लेकिन शरीर नहीं, जिससे यह स्थिति पैदा हो सकती है।
तनाव और चिंता
अगर आप ज्यादा स्ट्रेस में रहते हैं या किसी चीज को लेकर लगातार टेंशन में रहते हैं, तो इसका असर नींद पर पड़ता है और स्लीप पैरालिसिस होने की संभावना बढ़ जाती है।
खराब स्लीपिंग शेड्यूल
अनियमित सोने-जागने का समय इस समस्या का एक बड़ा कारण हो सकता है। आजकल की बिजी लाइफस्टाइल में कई लोग देर रात तक मोबाइल देखते रहते हैं या काम करते हैं, जिससे उनकी नींद खराब हो जाती है।
दवाओं का असर
कुछ खास दवाएं, जैसे एंटीडिप्रेसेंट्स, भी स्लीप पैरालिसिस का कारण बन सकती हैं।
सोने से एक घंटा पहले मोबाइल, लैपटॉप और टीवी से दूरी बना लें, ताकि दिमाग रिलैक्स हो सके और नींद बेहतर हो।
डॉक्टर से संपर्क करें
अगर स्लीप पैरालिसिस बार-बार हो रहा है, तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलें। वे आपकी लाइफस्टाइल देखकर सही इलाज बता सकते हैं।