हम युवा पीढ़ी घर के बड़े-बुजुर्गों की बाते या सुझाव सुनकर हमेशा बोलते कि ‘अरे यार मम्मी ये तो पुरानी बात है, पुराने रीती रिवाज हैं अब तो जमाना आगे बढ़ गया, ऐसा कुछ नहीं होता’, लेकिन अगर हमारे बड़े बुजुर्ग कुछ कहते भी है तो, वो सही ही कहते हैं और हमारे भले के लिए ही कहते हैं , इसलिए आपको उनकी बात हमेशा सुननी और समझनी चाहिए.
सालों से कुछ मान्यताएं चली आ रही हैं
ये इंडिया है यहाँ अलग अलग तरह की मान्यताए होती हैं। हमारे देश में काफी सालों से कुछ मान्यताएं चली आ रही है और आज भी उनका पालन हो रहा है. आपने भी ऐसी कई मान्यताओं को माना होगा जैसे बायीं आँख फड़के तो कुछ अशुभ होने वाला है. अंत्येष्टि से आकर नहाने की प्रथा. कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते है तो कुछ इसे सचाई। हमारे बड़े बुजर्ग भी हमे बात बात पर टोकते है. और अगर हमारे बड़े कुछ कह रहे है तो सही ही होगा। आपने ये भी सुना होगा कि थाली में तीन रोटी मत दो, खाने की कोई तीन चीज मत दो। प्रसाद में भी कभी 3 फल नहीं चढ़ाये जाते। तो सुनिए इसकी वजह…
थाली में क्यों नहीं परोसते 3 रोटियां?
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि थाली में 3 रोटी रखना यानि मृतक का भोज लगाना होता है, अक्सर तेरहवीं संस्कार में मृतक के लिए जो भोग लगते हैं उसमें या तो 1 रोटी होती है या 3 रोटी रखी जाती है। ऐसे में जीवित व्यक्ति के भोजन में 3 रोटियां परोसना बेहद ही अशुभ माना जाता है।
3 रोटियां परोसने के नुकसान
सुना है जो थाली में तीन रोटियां लेकर खाता है उसके मन में दूसरे के लिए शत्रुता का भाव आता है, ऐसा करने से व्यक्ति की उम्र भी कम होती है।
अशुभ माना जाता है नंबर 3
पुराने समय से ही पूजा पाठ में भी 3 अंक को अशुभ माना जाता है, इसलिए पूजा या प्रसाद कोई भी 3 की संख्या में नहीं चढ़ाई जाती है।
विज्ञान क्या कहता है?
अगर आप विज्ञान को मानने वाले है तो विज्ञान की नजर में ऐसी कोई गिनती नहीं है जो बुरी है, लेकिन तीसरी रोटी खाने से मोटापा बढ़ता है और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें भी होती हैं।