Heeramandi: लगातार आप कुछ दिनों से एक वेब सीरीज की चर्चा खूब सुन रहे होंगे जिसका नाम हीरामंडी है. संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बन रही इस सीरीज की चर्चा चारो तरफ हो रही है. जिसका फर्स्ट लुक अब सामने आ गया है, जिसके बाद लोगों में ऐसी चाहत जाग रही है कि सब हीरामंडी की कहानी जानने के लिए बेकरार है. आइए आज हम आपको हीरामंडी (Heeramandi) की पूरी कहानी बताते है.
भंसाली की पहली सीरीज ‘हीरामंडी’
देवदास, हम दिल दे चुके सनम और गंगुबाई जैसी कई सुपरहिट फिल्में देने वाले निर्देशक संजय लीला भंसाली ने साल 2023 की शुरुआती समय में अपनी पहली सीरीज की गोषणा कर दी थी जिसका नाम हीरामंडी बताया गया था. आपको बता दें कि इस सीरीज का पहला लुक रिलीज कर दिया गया है जिसमें मनीषा कोइराला, सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, रिचा चड्ढा, संजीदा शेख और शर्मिन सेगल बहुत अलग रॉयल अवतार में नजर आ रही है. लेकिन अभी तक इस सीरिज को रिलिज नही किया गया है.
इसके नाम को लेकर काफी चर्चा हो रही है और इसके बारे में लोग जानने के लिए बहुत उत्सुक है. क्योंकि हीरामंडी कभी अपनी तहजीब और मेहमाननवाजी के लिए काफी मशहूर था. मुगलों के समय वहां पर तवायफें अपने संगीत और डांस के जरिए अपनी संस्कृति को दिखाती थी, लेकिन आज इस जगह को लोग रेड लाइट एरिया की वजह से जानते है.
क्या है ‘हीरामंडी’ का इतिहास
पाकिस्तान के लाहौर शहर में एक मोहल्ला जिसका नाम हीरामंडी है, किसी जमाने में इसे शाही मोहल्ले के रुप में जाना जाता था. 15वीं और 16वीं शताब्दी के समय में हीरामंडी लाहौर के मुगलों का केंद्र था. ऐसा कहा जाता है हीरामंडी में राजकुमारों और शासकों को भेजा जाता था ताकि वह वहां से विरासत और संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें. लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और यह जगह मुगलों के अय्याशी का ठिकाना बन गया. यहां पर अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान से औरतों को लाया जाता था और पहले तो उन्हें कला- संस्कृति, संगीत और डांस से जोड़कर देखा जाता था लेकिन समय बीतता गया और यहां तवायफों को क्लासिकल डांस के लिए पेश किया जाने लगा.
ब्रिटिश ने इसे वैश्यावृत्ति में बदला
मुगलों के समय खत्म होने के बाद जब ब्रिटिश के हाथ में राज आया तब उन्होंने इस स्थान को वैश्यावृत्ति में बदल दिया था. जिसके बाद लोग इस शाही मोहल्ले में अपना दिल बहलाने के लिए आने लगे, जिसके बाद इस स्थान की चमक ऐसी कम हुई कि इस इलाके की रौनक कभी वापस नही आई. आजादी के बाद सरकार द्वारा यहां आने वाले लोगों के लिए इंतजाम किए गए लेकिन उसके बाद भी कोई सुधार नही हो पाया.
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दिन में कुछ रात में कुछ
लाहौर का यह इलाका जिसे हम हीरामंडी के नाम से जानते है, यहां पर दिन में सामान्य तरीके बाजार लगता है, तमाम तरीके सामान-बढ़िया खाने-पीने की चीजे और संगीत के सामान मिलते हैं. लेकिन जैसे ही शाम का समय होता है दुकानों के ऊपरी मंजिलों पर चकलाघर आबाद होने लगते हैं. लेकिन इस समय हालात ऐसे बन गए है कि लोग लाहौर में इस जगह का नाम भी लेने से बचते है. उन्हें शर्म महसूस होती है.