नैनीताल हाईकोर्ट सिफ्टिंग को लेकर एक बार फिर से विरोध शुरु हो गया है। धामी सरकार में हुए कैबिनेट से सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद से नैनीताल हाईकोर्ट की सिफ्टिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहें हैं। उत्तराखंड की सबसे पुरानी पार्टी यूकेडी ने हाईकोर्ट को हल्द्वानी में शिफ्ट किए जाने को पहाड़ विरोधी फैसला बताया है। इस सम्बन्ध में उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने कहा कि नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट किया जाना पहाड़ विरोधी मानसिकता का प्रतीक है।
जनसंख्या के चलते निर्णय करने का दबाव
देहरादून राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक में बहुत दिनों से उठ रही आवाज के चलते उत्तराखंड हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने का निर्णय लिया गया। सरकार ने यह निर्णय जनसंख्या को देखते हुए लिया। जहां एक ओर धामी सरकार पर इस निर्णय को करने का दबाव था अभ उसी के चलते फैसले के बाद अलग अलग तरीके से इसका विरोध भी हो रहा है। कई वरिष्ठ अधिवक्ता इससे नाखुश हैं तो नैनीताल से भारतीय जनता पार्टी की विधायक सरकार ने भी इसका जमकर विरोध किया है।
हाईकोर्ट शिफ्ट करने वाली मानसिकता सही नहीं
यूकेडी के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने मीडिया के माध्यम से जारी बयान में कहा कि नैनीताल से हाईकोर्ट शिफ्ट करने वाली मानसिकता वही है, जो राजधानी को गैरसैंण शिफ्ट किए जाने का विरोध करती है। राजधानी के मसले को देहरादून बनाम गैरसैंण करके सरकार ने उलझाया है। इसी मानसिकता के तहत हाई कोर्ट को नैनीताल से हल्द्वानी शिफ्ट करने की बात हो रही है।यह समझ से परे है कि हाईकोर्ट के नैनीताल में होने से किस को नुकसान हो रहा था ! यदि किसी भी तरह की कोई परेशानी नैनीताल में हाईकोर्ट के होने से है तो सरकार को चाहिए कि गैरसैंण में राजधानी घोषित करें और हाईकोर्ट को भी गैरसैंण में शिफ्ट कर दे।
चंदन रामदास बोलें अन्य कारणों के चलते फैसला लिया
तमाम विरोध के बीच सरकार की कैबिनेट बैठक में शामिल रहे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास कहते हैं, जनसंख्या का दबाव और अन्य कारणों से राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है।