नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि, ‘ देश भर में लोग संसद में नारी शक्ति वंदन अधिनियम की शुरूआत का आनंद उठा रहे हैं. यह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है. अफसोस की बात है कि विपक्ष इसे पचा नहीं पा रहा है.
कांग्रेस का दोहरा चरित्र किसी से छुपेगा नहीं- शाह
अमित शाह ने आगे लिखा कि, शर्मनाक बात यह है कि प्रतीकात्मकता को छोड़कर, कांग्रेस कभी भी महिला आरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रही या तो उन्होंने कानूनों को समाप्त होने दिया या उनके मित्र दलों ने विधेयक को पेश होने से रोक दिया. उनका दोहरा चरित्र कभी छुपेगा नहीं, उन्होंने श्रेय लेने के लिए बहुत स्टंट खेले.
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नए संसद भवन के लोकसभा में हुआ पेश
19 सितबंर के दिन भारत के नए संसद में महिला आरक्षण बिल को पेश किया गया. ये बिल पूरे टाइम चर्चा का विषय बनी है. इसके अंतर्गत लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी सीट महिला आरक्षण के अंतर्गत दिए जाने को लेकर है. इस महिला आरक्षण में बिल में बहुत कुछ खास है.
लोकसभा में 181 लोगी महिला सांसदों की संख्या
इस समय लोकसभा में सांसदों की कुल संख्या 543 है और इस बिल के अंतर्गत 33 फीसदी यानी 181 सीट महिला सांसदों के लिए आरक्षित करने की बात कही गई है. वहीं अगर इस समय सदन में महिला सांसदों की संख्या 82 है. इस बिल का मुख्य मकसद जनप्रतिनिधि के रूप में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाना है.
2026 परिसीमन के बाद दिखेगा इसका असर
बता दें कि महिला आरक्षण बिल का असर सिर्फ लोकसभा और राज्यों को विधानसभाओं पर दिखेगा. संसद के उच्च सदन राज्यसभा और जिन राज्यों में विधान परिषद है, वहां पर इसका असर नहीं होगा. अगर ये बिल कानून बन जाता है तो भी इसका असर 2024 लोकसभा चुनाव में नहीं दिखेगा. क्योंकि साल 2026 में देश में परिसीमन होगा और इसके बाद ये कानून भारत में प्रभावी रूप से दिखेगा.