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लगी ‘मुहर’ अब जुमे की रात होगा यूनुस सरकार का तख्तापलट, जानें किसके हाथों में होगी बांग्लादेश के बागडोर

शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस पर सेना का दबाव बढ़ता जा रहा है, किसी भी वक्त बांग्लादेश में हो सकता है तख्तापलट।

Vinod by Vinod
May 23, 2025
in Latest News, TOP NEWS, विदेश
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नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जब शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं, तब स्टेट विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा था। बांग्लादेश की जीडीपी पाकिस्तान से कईगुना आगे थी। यही बात बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई को अखर रही थी। नापाक एजेंसी ने कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ मिलकर शेख हसीना सरकार का तख्तापलट करवा दिया और प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की कुर्सी पर बैठा दिया। लेकिन अब यूनुस सरकार के तख्तापलट की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। किसी भी वक्त प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस अपने पद से रिजाइन कर सकते हैं। इसका खुलासा एनसीपी के प्रमुख एनहिद इस्लाम ने किया है। इस्लाम ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू के दौरान कई राज बताए।

बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक बवंडर की गिरफ्त में है। देश की अंतरिम सरकार और सेना के बीच रस्साकशी चरम पर है। अफवाहें तेज हैं कि सेना जल्द यूनुस सरकार को सत्ता से बेदखल करने जा रही है। दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि मोहम्मद यूनुस खुद अंतरिम सरकार के प्रमुख पद से इस्तीफा देंगे। सेना देश में चुनाव करवाएगी। जब तक चुनाव नहीं होते तब तक बांग्लादेश की कमान सेना खुद अपने हाथों में ले सकती है। बवंडर के बीच एनसीपी के प्रमुख एनहिद इस्लाम ने बीबीसी की बांग्ला सेवा को इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंनें कहा हमें यूनुस सर के इस्तीफे की खबर मिली। मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए यूनुस सर से मिला। सर ने मुझसे कहा कि वह इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते।

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पिछले साल बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों ने इतना उग्र प्रदर्शन किया था, कि उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद मुल्क की कमान अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर मोहम्मद यूनुस संभाल रहे हैं। शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने से लेकर मोहम्मद यूनुस को सत्ता तक पहुंचाने में छात्र नेता नाहिद हसन की अहम भूमिका थी, जो कि पूरे छात्र मूवमेंट को लीड कर रहे थे। नाहिद इस्लाम अंतरिम सरकार में शुरुआत में खुद यूनुस के सलाहकार के तौर पर काम कर चुके हैं। हालांकि, इसी साल उन्होंने यूनुस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने का एलान कर दिया था। उनकी पार्टी का नाम एनसीपी है। जानकार बताते हैं कि नाहिद हसन और सेना के बीच एक गुप्त समझौता हुआ है। सेना चाहती है कि देश में चुनाव हो और शेख हसीना की मदद से नाहिद हसन बांग्लादेश के प्रधानमंत्री चुने जाएं।

दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एकाएक विदेश सचिव उनके पद से हटा दिया। विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन को सितंबर 2024 में बांग्लादेश के 27वें विदेश सचिव के तौर पर नियुक्ति मिली थी। मोहम्मद जशीम उद्दीन ने हाल ही में यूनुस सरकार के एक फैसले का विरोध किया था। यूनुस सरकार ने रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर बड़ा फैसला किया था। सरकार ने रोहिंग्या के लिए बांग्लादेश में सुरक्षित पनाह देने और उनके लिए मानवीय कॉरिडोर बनाए जाने का मन बना चुकी थी। बताया जाता है कि मोहम्मद यूनुस और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) खलील-उर रहमान रोहिंग्याओं की मदद के लिए यह योजना लेकर आए थे। जबकि जशीम-उद्दीन इस योजना का विरोध कर रहे थे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि बांग्लादेश में रोहिंग्या के लिए ऐसी कोई योजना नहीं बननी चाहिए।

दरअसल, बांग्लादेश की सेना भी अपने देश से म्यांमार के रखाइन तक जाने वाले कॉरिडोर का विरोध कर चुके हैं। रखाइन वही इलाका है, जहां से भागकर रोहिंग्या बांग्लादेश और अन्य देशों पहुंच रहे हैं। बांग्लादेशी सेना का मानना है कि म्यांमार से यह कॉरिडोर सिर्फ बांग्लादेश की स्वायत्तता को ताक पर रख रहा है, जबकि इससे उसे कोई कूटनीतिक फायदा नहीं हो रहा। बांग्लादेश के अखबार प्रोथम आलो के मुताबिक, सेना प्रमुख वकर उज-जमां ने सैन्य अफसरों की बैठक में कहा, ऐसा कोई कॉरिडोर (रोहिंग्याओं के लिए) नहीं होगा। बांग्लादेश की स्वायत्तता पर कोई समझौता नहीं हो सकता। सिर्फ एक ऐसी राजनीतिक सरकार ही यह फैसला कर सकती है, जिसे जनता ने चुना हो।

वकर उज-जमां ने इस पर भी जोर दिया कि बांग्लादेश में इस साल दिसंबर तक संसदीय चुनाव हो जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक चुनी हुई सरकार ही बांग्लादेश के भविष्य पर फैसला ले सकती है, न कि गैर निर्वाचित सरकार। आर्मी चीफ ने यह भी साफ कर दिया कि 1 जनवरी 2026 को बांग्लादेश में एक नई सरकार का सत्ता में होना बेहद जरूरी है। वकर उज-जमां ने साफ कहा कि हम अपने देश में रोहिंग्या के लिए कॉरीडोर नहीं मनने देंगे। जानकार बताते हैं आर्मी चीफ के इशारे पर ही विदेश सचिव ने यूनुस सरकार की योजना का विरोध किया था।

मो. यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार ने इस दौरान कई ऐसे फैसले किए हैं, जिनका असर बांग्लादेश और भारत के रिश्तों पर भी पड़ा है। इनमें पाकिस्तान से व्यापार और रक्षा सहयोग बढ़ाने से जुड़े फैसले शामिल हैं। इसके अलावा भारत से जुड़े व्यापार पर यूनुस के धड़ाधड़ फैसलों से बांग्लादेश में असहजता की स्थिति बन रही है। इन सभी मुद्दों को लेकर सेना प्रमुख कई बार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से रोष जता चुके हैं। हालांकि, अब उन्होंने इसे लेकर नाराजगी को सामने रख दिया है।

बताया जाता है कि वकर उज-जमां और बांग्लादेश के लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैजुर रहमान के बीच भी स्थितियां तनावपूर्ण हैं। रहमान जो कि सेना में क्वार्टरमास्टर जनरल हैं, उन्हें पाकिस्तान का करीबी और कट्टर इस्लामिक चेहरे के तौर पर जाना जाता है। यूनुस के इस करीबी जनरल के पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क होने की बात भी सामने आती है। इसके अलावा मोहम्मद यूनुस के सैन्य सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल कमरुल हसन को लेकर भी सेना प्रमुख असहज रहे हैं।

बांग्लादेश की मीडिया की तरफ से हाल ही में खबरें आई थीं कि मोहम्मद यूनुस की गैर-निर्वाचित सरकार देश के संविधान में कुछ बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसमें सेना के तीनों अंगों के प्रमुख माने जाने वाले राष्ट्रपति का पद खत्म करने की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं। हालांकि, वकर उज-जमां ने ऐसे किसी कदम को लेकर वायुसेना, नौसेना और खुफिया विभाग का समर्थन जुटाने की तैयारी कर ली है। बताया गया है कि बुधवार को वकर उज-जमां ने जो बैठक बुलाई थी, उसमें नौसेना और वायुसेना प्रमुख भी मौजूद थे।

बैठक के दौरान आर्मी चीफ की तरफ से 1972 के बांग्लादेश के संविधान की तारीफ किए जाने की बात सामने आती है। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति को हटाए जाने को ’बेवजह के ख्याल’ भी करार दिया, जिसे यूनुस सरकार के अगले कदमों के लिए चेतावनी माना जा रहा है। हालांकि, मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सेना बेहतर जवाब दे सकती है। दूसरी तरफ बांग्लादेश के पत्रकारों के हवाले से दावा किया है कि आर्मी चीफ जमां ने कुछ मुद्दों को लेकर मोहम्मद यूनुस की तारीफ की है, लेकिन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मसलों पर उनके कम अनुभव का भी हवाला दिया है।

Tags: BangladeshMohammad Yunus
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