China new bomb: चीन ने एक बार फिर पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है। इस बार कारण है उसका नया ‘नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम’, जो आकार में छोटा, कीमत में सस्ता लेकिन तबाही में बेहद खतरनाक है। दुनिया जहां परमाणु हथियारों पर अंकुश लगाने की बातें कर रही है, वहीं चीन ने परमाणु टैग से बचते हुए एक ऐसा हथियार बना लिया है जो पारंपरिक एटम बम से भी ज्यादा खतरनाक है। और ये सीधा इशारा है—नई शीतयुद्ध की शुरुआत का।
इस 2 किलो के बम की ताकत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह 1000 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पैदा करता है, और वह भी 2 सेकंड से अधिक समय तक। इतना तापमान किसी भी टैंक, बंकर या सैनिक टुकड़ी को भस्म करने के लिए काफी है। चीन ने इस बम को मैग्नीशियम हाइड्राइड जैसे ठोस हाइड्रोजन कंपाउंड से बनाया है—यानि इसमें न तो फिशन है, न फ्यूजन, फिर भी विनाश तय है।
खतरा सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया को
इस ‘नॉन-न्यूक्लियर हाइड्रोजन बम’ के जरिए चीन अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधियों को चकमा देकर अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। वह बिना रेडियोधर्मी असर के तबाही मचाने की क्षमता हासिल कर चुका है। ये भारत के लिए तो खतरे की घंटी है ही, लेकिन अमेरिका, ताइवान और दक्षिण चीन सागर के अन्य देशों के लिए भी खतरे की शुरुआत है।
नई शीतयुद्ध की शुरुआत?
China का ये कदम सीधे-सीधे हथियारों की नई रेस का संकेत है। अमेरिका और उसके सहयोगी देश जैसे जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान पहले ही चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान हैं। अब जब बीजिंग ऐसे बम बना रहा है जो ‘न्यूक्लियर नहीं लेकिन न्यूक्लियर जैसे’ हैं, तब वैश्विक सैन्य रणनीतियां पूरी तरह बदलनी तय हैं।
भारत के लिए तुरंत चेतावनी
भारत-चीन सीमा पर पहले ही तनाव का माहौल है। ऐसे में चीन के पास ऐसा हथियार होना जिसे वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों की आड़ में तैनात कर सके, भारत के लिए बड़ा रणनीतिक सिरदर्द है। भारत को अब सिर्फ परमाणु संतुलन नहीं, बल्कि इस तरह के ‘ग्रे ज़ोन’ हथियारों की भी तैयारी करनी होगी।
भारत को अपनी डिफेंस इंडस्ट्री में ऐसे लो-कॉस्ट, हाई-इम्पैक्ट हथियार विकसित करने की जरूरत है, जो चीन के इस तकनीकी छलांग का जवाब दे सकें। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन की इस चालाकी का पर्दाफाश करना भी जरूरी है।
US और ताइवान की चिंता बढ़ी
अमेरिका और ताइवान पहले से ही चीन की आक्रामकता से सतर्क हैं। इस नई बम तकनीक ने वॉशिंगटन की चिंता और बढ़ा दी है। अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चीन इस तकनीक को आगे बढ़ाता है तो ताइवान पर किसी संभावित हमले में यह बड़ा हथियार बन सकता है।
अब सिर्फ सेना नहीं, रणनीति भी बदलिए
दुनिया अब पारंपरिक हथियारों से आगे निकल चुकी है। China ने जो किया है, वह दिखा रहा है कि अगला युद्ध ‘न्यूनतम परमाणु प्रभाव, अधिकतम विनाश’ वाला होगा। भारत, अमेरिका और उनके सहयोगियों को अब हथियारों की इस नई रेस में खुद को तैयार करना होगा। वरना ये 2 किलो का बम, किसी दिन पूरी दुनिया की नींव हिला सकता है।