Jaishanker on illegal migrants: संसद में शुक्रवार को अवैध भारतीय प्रवासियों के अमेरिका से निर्वासन का मुद्दा जोर-शोर से उठा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सदन में स्पष्ट किया कि यह कोई नया मामला नहीं है, बल्कि पहले भी इस तरह की कार्रवाई होती रही है। उन्होंने बताया कि 2009 से लेकर अब तक सैकड़ों भारतीयों को अमेरिका से वापस भेजा गया है।
S. Jaishanker ने कहा कि अमेरिका की नीति के अनुसार अवैध रूप से रह रहे लोगों को वापस भेजा जाता है, और यह प्रक्रिया नियमों के तहत की जाती है। उन्होंने कहा, “हमारे कई नागरिक अवैध रूप से अमेरिका पहुंचे थे और वे अमानवीय परिस्थितियों में फंसे हुए थे। ऐसे में उन्हें स्वदेश वापस लाना ही था।”
सांसदों के तीखे सवाल, जयशंकर का जवाब
सदन में कई सांसदों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि सरकार को यह जानकारी है कि अमेरिका में कितने भारतीय अब भी फंसे हुए हैं? उन्होंने कोलंबिया का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह देश अमेरिका को “लाल आंख” दिखा सकता है, तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर रहा?
इसी तरह, तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने सवाल किया कि जब कोलंबिया अपना विमान भेजकर अपने नागरिकों को वापस ला सकता है, तो भारत क्यों नहीं?
इस पर S. Jaishanker ने जवाब दिया कि सरकार ने उचित प्रक्रिया के तहत इन प्रवासियों को वापस लाने की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि 2012 से ही अमेरिका में अवैध भारतीयों को मिलिट्री विमान के जरिए वापस भेजने की प्रक्रिया लागू है और इसमें कोई भेदभाव नहीं होता।
कैदी वैन में ले जाने पर विपक्ष का हंगामा
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन प्रवासियों को अमेरिका से लाया गया, उन्हें भारत में भी अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि हरियाणा के लोगों को कैदी वैन में ले जाया गया।
जयशंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह मुद्दा संवेदनशील है और सरकार की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इन प्रवासियों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाए हैं।
सरकार का रुख स्पष्ट, बहस जारी
विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि अमेरिका के नियमों के अनुसार अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाता है और इसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता। उन्होंने कहा, “यह अमेरिका का अधिकार है और हमें इस फैसले का सम्मान करना चाहिए।”
हालांकि, इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की रणनीति जारी रखी है। संसद में इस विषय पर आगे भी बहस जारी रहने की संभावना है।