Experts Raise Questions on Mark Rutte’s Statement:NATO के नए सेक्रेटरी जनरल मार्क रूटे ने अमेरिका के सीनेटरों से मुलाकात के बाद कहा कि अगर भारत, चीन या ब्राजील रूस से व्यापार करते रहेंगे, खासकर तेल और गैस खरीदते रहेंगे, तो उन पर 100% सेकेंडरी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। सेकेंडरी प्रतिबंध यानी किसी प्रतिबंधित देश से व्यापार करने वाले देशों पर भी आर्थिक सजा दी जाएगी।
रूटे ने कहा कि रूस जब तक शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेता, तब तक ऐसे देशों पर दवाब बनाया जाना जरूरी है।
क्या है इस बयान का मतलब?
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बयान न सिर्फ गलत है बल्कि नैतिक रूप से भी उचित नहीं है। नाटो एक सैन्य गठबंधन है, न कि कोई आर्थिक संस्था, जो दूसरे देशों की विदेश नीति पर असर डाल सके। रूटे का बयान अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उसी तरह की धमकी के एक दिन बाद आया, इसलिए इसे जानबूझकर ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों) पर दबाव बनाने की कोशिश माना जा रहा है।
यूरोप खुद क्यों नहीं रोक पा रहा रूस से खरीद?
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और यूरोप ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन इसके बावजूद यूरोपीय यूनियन के देश आज भी बड़ी मात्रा में रूस से गैस और तेल खरीद रहे हैं।
2022 के बाद से यूरोपीय यूनियन ने रूस से 51% एलएनजी खरीदी है और 37% पाइपलाइन गैस भी वहीं से आयात की है। जून 2025 में भी यूरोपियन यूनियन रूस से ईंधन का चौथा सबसे बड़ा खरीदार रहा है। इसके अलावा हंगरी, फ्रांस, बेल्जियम और नीदरलैंड्स जैसे नाटो सदस्य देश रूस से लगातार गैस और तेल ले रहे हैं।
भारत की स्थिति क्या है?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। रूस से भारत ने इस साल (जनवरी-जून 2025) में हर दिन औसतन 17.5 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदा है। इस दौरान अमेरिका से आयात भी 51% बढ़ा है, लेकिन रूस अब भी सबसे बड़ा सप्लायर बना हुआ है। भारत की बड़ी कंपनियां जैसे रिलायंस और नायरा एनर्जी लंबे समय के अनुबंधों के तहत रूस से तेल ले रही हैं। भारत सरकार की कंपनियां स्पॉट मार्केट से खरीद करती हैं।
क्या भारत को दबाव में आना चाहिए?
GTRI के प्रमुख अजय श्रीवास्तव का कहना है कि भारत को किसी भी सूरत में अमेरिका या NATO के दबाव में आकर रूस से तेल खरीद बंद नहीं करनी चाहिए।
सस्ती दरों पर मिल रहा रूसी तेल भारत को महंगाई और आर्थिक अस्थिरता से बचाने में मदद कर रहा है। उनका कहना है कि ट्रंप की धमकियां पहले भी आई हैं, और भविष्य में भी आती रहेंगी। भारत को अपने फैसले खुद करने चाहिए, ना कि किसी के डर से। अमेरिका के साथ संबंध बनाए रखें, लेकिन आत्मनिर्भर और संतुलित नीति ही भारत के लिए बेहतर होगी।
NATO प्रमुख की धमकी न सिर्फ असंवैधानिक है, बल्कि खुद उनके सदस्य देश भी इसका पालन नहीं कर रहे। भारत को अपने हितों के अनुसार रूस से व्यापार जारी रखना चाहिए और किसी भी तरह के दबाव में नहीं आना चाहिए।










