सीजफायर के बावजूद ईरान का हमला, 6 इजरायली नागरिकों की मौत: क्या जंग फिर से भड़केगी?

ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर लागू होने के बाद भी ईरान ने मिसाइल हमले किए, जिसमें छह इजरायली नागरिकों की मौत हो गई। ताजा हमले यह संकेत दे रहे हैं कि जंग अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।

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US mediation: ईरान और इजरायल के बीच 12 दिनों से जारी भीषण संघर्ष के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की US mediation से सीजफायर का ऐलान हुआ, लेकिन इसके बावजूद हालात काबू में नहीं आ सके हैं। ईरान ने सीजफायर लागू होने के कुछ घंटों के भीतर तीन बार मिसाइल हमले किए, जिसमें छह इजरायली नागरिकों की मौत हो गई। इन ताजा हमलों से साफ है कि ईरान अंतिम सांस तक लड़ने की मंशा जाहिर कर रहा है और अमेरिका को यह संदेश भी दे रहा है कि वह किसी भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुकने वाला नहीं है। सवाल यह है कि क्या यह संघर्ष फिर से भीषण युद्ध का रूप लेगा या हालात कूटनीतिक स्तर पर काबू में आ सकेंगे?

क्या सीजफायर सिर्फ कागजों पर?

ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष थमने US mediation की घोषणा के बावजूद ईरान की ओर से हमले जारी हैं। इजरायली डिफेंस फोर्स के मुताबिक, ईरान ने एक घंटे के भीतर तीन मिसाइल हमले किए जिसमें छह नागरिकों की मौत हो गई। तेल अवीव में सायरन बजने लगे और लोग सुरक्षित बंकरों में भागने को मजबूर हो गए। सवाल उठ रहा है कि क्या यह सीजफायर वाकई में प्रभावी है या सिर्फ कागजों पर ही है? ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने साफ कर दिया है कि उनकी सेना आखिरी समय तक इजरायल को उसके हमलों का जवाब देती रहेगी।

Iran की रणनीति: दबाव से नहीं, अपनी शर्तों पर

ईरान लगातार यह संदेश दे रहा है कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में US mediation सीजफायर नहीं मानेगा। ईरान का ताजा हमला अमेरिका को भी सीधी चेतावनी है कि उस पर कोई भी शांति समझौता जबरन नहीं थोपा जा सकता। ईरान ने साफ कर दिया है कि उसने न तो युद्ध शुरू किया था और न ही वह इसे जारी रखना चाहता है, लेकिन इजरायल की आक्रामकता का जवाब पूरी ताकत से दिया जाएगा। ईरान का यह रुख यह भी दर्शाता है कि वह जंग से पीछे हटने के बजाय अंतिम दम तक लड़ने के लिए तैयार है।

Iran की क्षति और वैश्विक समर्थन का अभाव

इस संघर्ष में ईरान को गहरा नुकसान उठाना पड़ा है। अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर बंकर बस्टर बम गिराए हैं। कई सैन्य कमांडर्स और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए हैं, जिनमें रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ हुसैन सलामी भी शामिल हैं। करीब एक हजार नागरिकों की भी मौत हो चुकी है। ईरान को इस युद्ध में क्षेत्रीय या वैश्विक समर्थन नहीं मिला। रूस और चीन ने नैतिक समर्थन तो दिया, लेकिन अमेरिका और इजरायल के खिलाफ खुलकर साथ नहीं आए, जिससे ईरान को अकेले ही लड़ाई लड़नी पड़ रही है।

क्या फिर से भड़केगा युद्ध?

ईरान के ताजा मिसाइल हमलों से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि संघर्षविराम पूरी तरह से लागू नहीं हो पाया है। आंतरिक दबाव, कट्टरपंथी गुटों की अपेक्षाएं और व्यापक नुकसान के बावजूद ईरान पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा है। इजरायल की तरफ से भी स्थिति बेहद तनावपूर्ण है और वह पलटवार करने की तैयारी में है। अगर जल्द ही दोनों पक्षों के बीच भरोसेमंद कूटनीतिक समाधान नहीं निकला तो यह संघर्ष एक बार फिर भीषण युद्ध में बदल सकता है, जिससे पूरे मध्य पूर्व में संकट और गहरा सकता है।

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