Nina’s Life with Nature and Struggles:कर्नाटक के गोकर्ण में एक गुफा में रह रही रूसी महिला नीना कुटीना की कहानी इन दिनों चर्चा में है। वह अपनी दो छोटी बेटियों (6 और 8 साल की) के साथ सालों से प्रकृति के बीच रह रही थीं। लेकिन अब जब उन्हें बाहर निकाला गया है, तो वह दुखी हैं और खुद को असहज महसूस कर रही हैं।
क्यों भारत में ही रहीं नीना?
Ninaने बताया कि उनका वीजा 2017 में ही खत्म हो गया था, लेकिन उन्होंने भारत न छोड़ने का फैसला किया। इसका कारण था। अपने कुछ करीबी लोगों को खोने का गम और निजी परेशानियां। नीना ने कहा, “हम बहुत से दुखों से घिरे हुए थे। कई दस्तावेजी और निजी समस्याएं थीं। ऐसे में हम वापस रूस नहीं जा सके।”
गुफा में कैसी थी उनकी ज़िंदगी?
नीना ने बातचीत में बताया, “हम सुबह सूरज के साथ उठते थे, नदियों में तैरते थे और जंगलों के बीच रहते थे। मौसम के हिसाब से कभी गैस सिलेंडर तो कभी लकड़ी जलाकर खाना बनाती थी। पास के गांव से सामान लेकर आती थी। हम मिलकर पेंटिंग करते, गाने गाते, किताबें पढ़ते और शांति से रहते थे।”
गुफा से बाहर आने के बाद कैसा है माहौल?
Ninaने बताया कि अब उन्हें जिस जगह रखा गया है, वह काफी असुविधाजनक है। “यहां कोई प्राइवेसी नहीं है, जगह गंदी है और हमें सिर्फ सादा चावल खाने को मिल रहा है,” उन्होंने कहा। नीना का ये भी आरोप है कि उनके जरूरी सामान जब्त कर लिए गए हैं, जिनमें उनके बेटे की अस्थियां भी शामिल हैं, जिनका निधन 9 महीने पहले हुआ था।
खर्च कैसे चलाती थीं नीना?
Nina कहती हैं कि वह आर्ट और म्यूजिक वीडियो बनाकर कुछ कमाई करती थीं। इसके अलावा वह कभी-कभी बच्चों को पढ़ाती थीं या बेबीसिटिंग करती थीं। “अगर मुझे काम नहीं मिलता था, तो मेरे भाई, पिता या बेटा मदद कर देते थे। जितनी जरूरत होती, उतना पैसा हमारे पास होता था,” उन्होंने बताया।
नीना बताती हैं कि वह अब रूसी दूतावास के संपर्क में हैं और भविष्य को लेकर बात चल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत से बेहद जुड़ाव महसूस करती हैं। “भारत की प्रकृति, लोग और यहां का माहौल हमें बहुत पसंद है। हम चार और देशों की यात्रा करने के बाद फिर भारत लौटे हैं।”
नीना कुटीना की यह अनोखी कहानी बताती है कि कैसे कुछ लोग साधारण जीवन और प्रकृति के बीच रहना पसंद करते हैं। हालांकि कानून और व्यवस्था का पालन करना ज़रूरी है, लेकिन उनका जीवन लोगों के लिए एक अलग सोच ज़रूर पेश करता है।