नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। सोशल मीडिया के बैन को लेकर नेपाल में युवाओं ने क्रांति का शंखनाद कर दिया। 8 सितंबर की सुबह से सड़कों पर यूथ का मेला लग गया और फिर धीरे-धीरे कर पूरे नेपाल में पीएम ओली के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, पीएम आवास से लेकर एयरपोर्ट पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा हो गया। महज 26 घंटे के अंदर ओली सरकार हिल गई। सेना ने भी अपने पैर पीछे खींच लिए और आखिर में पीएम ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। फिलहाल पूरे देश में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम की पत्नी का मर्डर भी कर दिया है। कई नेताओं को सड़क पर पीटा है। अब सबकी नजर आर्मी चीफ पर हैं। बताया जा रहा है कि अगले कुछ घंटे के अंदर नेपाल को नया पीएम मिल जाएगा। पीएम की रेस में तीन नाम बताए जा रहे हैं।
नेपाल इन दिनों एक बार फिर से भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। नेपाल की सड़कों पर लाखों छात्र जमा हैं। संसद भवन को फूंक दिया गया है। राष्ट्रपति और पीएम आवास में भी आग लगाई गई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के देश छोड़ने की तैयारी में हैं। नेपाल में इसे ळमद र् आंदोलन नाम दिया गया है। इस पूरे घटना क्रम के केंद्र में एक नाम उभर कर सामने आया है, वो हैं बालेंद्र शाह का, जिन्हें लोग बालेन शाह भी कहते हैं। बालेंद्र शाह काठमांडू के मेयर हैं। बालेन नेपाल में युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि वो किसी भी अन्य मेयर से अलग हैं और जहां ज्यादातर मेयर अपनी नगरपालिकाओं से आगे शायद ही कभी ध्यान दे पाते हैं। वही यह शख्स नेपाल के इस बड़े आंदोलन के केंद्र में आ खड़ा हुआ है।
नेपाल न्यूज के अनुसार, बालेन के कद और प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टाइम मैगजीन ने उन्हें 2023 की अपनी शीर्ष 100 शख्सियतों की सूची में शामिल किया था। द न्यू यॉर्क टाइम्स जैसे विश्व-प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने भी उन्हें कवर किया है। सोशल मीडिया पर भी लोग मांग कर रहे हैं कि अब बालेन शाह को सत्ता सौंप दी जानी चाहिए। बता दें कि बालेन शाह राजनीति में सक्रिय होने के साथ-साथ रैपर और और सिंगर भी हैं। जूदा आंदोलन को भी बालेन ने खुला समर्थन दिया है, जिसके चलते युवा उन्हें अपना ‘हीरो’ मानकर आगे बढ़ा रहे हैं। साल 2020 में शाह ने एक वीडियो पोस्ट किया था। रैप सॉन्ग में बालेन कह रहे हैं कि देश की रक्षा करने वाले नेता चोर हैं और देश को लूट रहे हैं। कानून कायदे का गलत फायदा उठाते हैं और जनता को बेवकूफ बनाते हैं। रैप में आगे उन्होंने कहा कि नेता और बड़े लोग आम जनता की गरीबी पर राजनीति करते हैं लेकिन खुद शानो-शौकत में जीते हैं गरीब की आवाज कोई नहीं सुनता।
बालेन शाह अतीत में कुछ ऐसे बयान दे चुके हैं, जिसे भारत पर तंज कहा जा सकता है। जैसे उन्होंने एक बार नेपाल की सरकार को ’भारत का दास’ बताया था। इसके अलावा उन्होंने आदिपुरूष फिल्म को राजधानी काठमांडू में बैन कर दिया था, क्योंकि फिल्म में सीता माता को नेपाल की जगह भारत की बेटी कहा गया था और बालेन ने सीता माता को नेपाल की बेटी कहा था, जो सही भी है। बालेन शाह के राजनीतिक सफर की बात करें तो बालेन शाह का उदय नेपाल की राजनीति में किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। पेशे से सिविल इंजीनियर और जुनून से रैपर रहे बालेन ने बाद में जाकर राजनीति में कदम रखा। वो बाद में नेपाल की राजधानी काठमांडू के मेयर चुनाव जीते और वो अकसर युवाओं की आवाज उठाते रहते हैं। बालेन शाह ने न सिर्फ युवाओं के मुद्दों को सशक्त आवाज दी, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदार नेतृत्व का वादा करके अपनी पहचान बनाई।
यही वजह है कि ओली के इस्तीफे के बाद सबसे ज्यादा चर्चा इसी शाह के नाम पर हो रही है। प्रदर्शनकारियों ने बालेन शाह को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या स्थानीय स्तर पर कामयाब रहे बालेन शाह, राष्ट्रीय राजनीति की जटिलताओं को संभाल पाएंगे? संसद में पारंपरिक पार्टियों का अभी भी दबदबा है और सत्ता की बागडोर थामने के लिए सिर्फ लोकप्रियता ही काफी नहीं है। सड़क पर संग्राम करके प्रधानमंत्री बनना आसान हो सकता है, लेकिन सड़क के लोगों की उम्मीदों को पूरा करना उतना ही मुश्किल है। शाह के अलावा पीएम की रेस में दो और नाम हैं। इनमें से एक है हामी नेपाल के अध्यक्ष, जिन्होंने पूरे आंदोलन को लीड किया। जबकि दूसरा नाम है उस नेता का, जो जेल में बंद था। प्रदर्शनकारियों ने जेल को तोड़कर नेपाली नेता को बाहर लेकर आए हैं। जानकार बताते हैं कि पीएम पद की रेस में बालेन शाह ही सबसे मजबूत दावेदार हो सकते हैं।