कानपुर ऑनलाइन डेस्क। यूपी सरकार ने सोमवार को चार आईपीएस अधिकारियों के तबादले कर दिये। सीनियर आईपीएस रघुवीर लाल को कानपुर का पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। वहीं शहर के पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार अब केंद्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन मंत्रालय में प्रबंध निदेशक एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर का पद संभालेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सोमवार को चार आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर कर दिए। आईपीएस रघुवीर लाल को कानपुर की सीपी बनाया गया है। जबकि पुलिस महानिदेशक, अभियोजन, उप्र लखनऊ के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, सीआईडी, उप्र, लखनऊ का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे दिपेश जुनेजा के पास अब सिर्फ पुलिस महानिदेशक, अभियोजन की जिम्मेदारी रह गई है।
पुलिस महानिदेशक/अपर पुलिस महानिदेशक, साइबर क्राइम, उप्र, लखनऊ में तैनात बिनोद कुमार सिंह को पुलिस महानिदेशक, सीआईडी, उप्र, लखनऊ के साथ-साथ पुलिस महानिदेशक, साइबर क्राइम, उप्र, लखनऊ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। लखनऊ परिक्षेत्र में पुलिस महानिरीक्षक के रूप में कार्यरत तरुण गाबा को पुलिस महानिरीक्षक, सुरक्षा, उप्र, लखनऊ के साथ-साथ पुलिस महानिरीक्षक, लखनऊ परिक्षेत्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
अपर पुलिस महानिदेशक, सुरक्षा, उप्र, लखनऊ में तैनात रघुवीर लाल को पुलिस आयुक्त, पुलिस कमिश्नरेट, कानपुर नगर बनाया गया है। फिलहाल अखिल कुमार को केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन मंत्रालय में प्रबंध निदेशक एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के पद पर तैनात किया है। अखिल कुमार ने कानपुर के बतौर सीपी रहते हुए कई ऐतिहासिक कार्य किए। उन्होंने ऑपरेशन महाकाल चलाया और माफियाओं की कमर तोड़ दी। वकील से लेकर पत्रकारों को सलाखों के पीछे भेजा। अब अखिल कुमार को काम को रघुवीर लाल आगे बढ़ाएंगे।
आईपीएस रघुवीर लाल अपर पुलिस महानिदेशक सुरक्षा के पद पर तैनात थे। रघुबीर लाल वर्ष 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी है। रघुबीर लाल लखनऊ में बसपा सरकार में पहली बार सृजित हुए एसएसपी कानून व्यवस्था के पद पर तैनात रह चुके हैं। आईपीएस रघुवीर लाल की छवि एक इमानदार और तेज-तर्राक अफसर की है। वह केंद्र सरकार में अहम पदों पर तैनात रहे हैं। जानकार बताते हैं कि आईपीएस रघुवीर लाल के पास अपराध नियंत्रण में महारथ हासिल है।
बता दें, बसपा शासनकाल में 4 फरवरी 09 को राजधानी में एसएसपी के स्थान पर डीआईजी की तैनाती के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानून व्यवस्था का पद सृजित करके आईपीएस रघुबीर लाल को तैनात किया गया। थानेदारों के तबादले या तैनाती का उनके पास अधिकार नहीं था। कार्यभार संभालने के साथ रघुबीर लाल ने कानून व्यवस्था के साथ अपराधियों की धरपकड़ शुरू की। तैनाती भले ही महत्वहीन पद पर हो, लेकिन रघुबीर लाल हर वारदात की सूचना पर खुद जल्द मौके पर पहुंचते। नाका इलाके में प्लाइवुड व्यवसायी अपहरण कांड में तो उन्होंने दरोगा व सिपाहियों के साथ खुद छापामारी करके बदमाशों को पकड़ा।
आईपीएस रघुवीर लाल के काम से जनता गदगद थी। उनके दफ्तर में फरियादियों की भीड़ उमड़ने लगी। तैनाती के चंद दिनों बाद मीडियाकर्मियों के साथ खुद भी बैंक लुटेरे के भेष में निकले। वायरलेस पर संदेश प्रसारित किया और पॉश इलाकों में गाड़ी दौड़ाकर पुलिस की मुस्तैदी परखी। पुलिस लाइन के पास घेराबंदी करके रोकने वाले सिपाहियों को पुरस्कृत किया। वारदात की सूचना पर कप्तान के पहुंचने से थानेदार भी सक्रिय हो गए। फरियादियों को थाने से टरकाने का सिलसिला थम गया। खुद सादे कपड़ों में बगैर गनर के कभी बाइक तो कभी रिक्शे से भ्रमण करके पुलिस व्यवस्था का जायजा लेते थे।
पुलिस व नारकोटिक्स विभाग की संयुक्त टीम ने मुंशी पुलिया स्थित एक कॉम्प्लेक्स से 50 लाख की हेरोइन बरामद करने के साथ प्रॉपर्टी डीलर को पकड़ा। कुछ ही देर में रघुबीर लाल को छापामारी के पीछे साजिश की भनक लग गई। खुद जांच की। प्रॉपर्टी डीलर को फंसाने के लिए कॉम्प्लेक्स में हेरोइन रखने वाले को गिरफ्तार किया। उगाही के इरादे से साजिश रचने वालों पर सख्ती की और बेगुनाह को नारकोटिक्स विभाग की हवालात से रिहा कराया।