नई दिल्ली। मिडिल ईस्ट देश इजरायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध को 20 से भी अधिक दिन का समय हो गया है. पूरी दुनिया को इस युद्ध ने चिंता ने डाल रखा है. इस भयानक जंग में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लाखों की संख्या में लोग अपने घरों को छोड़कर शरणार्थी बन चुके हैं. इसी बीच यूएन में 10वें आपातकालीन विशेष सत्र की बैठक बुलाई गई और इस ग्लोबल मीटिंग में इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहे युद्ध में सीजफायर कराने का प्रस्ताव पेश किया गया. हालांकि भारत ने इस बैठक से दूरी बनाई रखी.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा आया प्रस्ताव
बता दें कि 27 अक्टूबर यानी शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में जॉर्डन द्वारा एक प्रस्ताव किया गया. इल प्रस्ताव का कई देशों ने समर्थन किया लेकिन भारत ने इसमें वोटिंग नहीं की और दूरी बनाकर रखी. इस प्रस्ताव का उद्देश्य युद्ध का दंश झेल रहे मिडिल ईस्ट देश इजरायल और फिलिस्तीन के बीच सीजफायर कराना था. खास मकसद ये था कि गाजा में तत्काल प्रभाव से निरंतर चल रहे मानवीय संघर्ष को विराम दिया जाए.
40 से अधिक देशों ने किया मानवीय पहुंच आह्वान
यूएन के इस आपातकालीन बैठक में लाए गए प्रस्ताव में गाजा पट्टी में मानवीय पहुंच का भी आह्वान किया गया था, जिसका 40 से अधिक देशों ने समर्थन किया, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, रूस और साउथ अफ्रीका जैसे देश शामिल थे. वहीं दूसरी तरफ भारत समेत यूके, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने दूरी बनाकर रखा.
पक्ष में 120, विपक्ष में 14 और अनुपस्थितों की संख्या 45
गौरतलब है कि नागरिकों की सुरक्षा तथा कानून और मानवीय दायित्वों को कायम रखने वाले प्रस्ताव के पक्ष में 120 देशों ने वोट दिया और विपक्ष में 14 वोट पड़े. इसके अलावा यहां पर अनुपस्थितों की संख्या 45 थी, जिसमें भारत भी शामिल रहा और इस मतदान में हिस्सा नहीं लिया.