नई दिल्ली: साल 1995 एक ऐसा साल जिसने बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दी। ऐसी फिल्में जिन्हें आज भी दर्शकों के बीच याद किया जाता है। कुछ लोग तो साल 1995 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्मों से जुड़ी अपनी यादें आज भी ताजा करते हुए दिखाई देते हैं। शाहरुख खान और सलमान खान की सबसे यादगार और सक्सेसफुल फिल्म करण अर्जुन को भला किसने नहीं देखा होगा। इस फिल्म का एक एक किरदार, गाना, डायलॉग और लोकेशन तक, सबकुछ खूब पॉपुलर हुआ था लेकिन आपको करण अर्जुन का शमशेर सिंह याद है की नहीं, हां वही खूंखार विलेन जिसने दिन-दहाड़े करण और अर्जुन को तलवारों से काट डाला था। चलिए बताते हैं करण अर्जुन कास्ट का वो खूंखार विलेन कौन था और कैसा रहा उसका फिल्मी सफर।
कहते हैं जब आप अपनी जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं तो इसके लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है। बचपन में देखे गए सपनों को साकार करने के लिए कई बार अपने मन को मारकर उन चीजों से समझौता करना पड़ता है जिन्हें आप नहीं करना चाहते। इस कंडीशन में कम ही लोगों को सक्सेस मिल पाती है। आज की कहानी एक ऐसे ही फिल्मी दुनिया में काम करने वाले एक्टर की है जो बचपन से एक हीरो बनना चाहता था लेकिन उसकी जिंदगी में आए उतार चढ़ाव ने उसके साथ क्या किया यही बताने जा रहे हैं आपको।
जैक गौड़ (Jack Gaud) 80 और 90 की कई सुपरहिट फिल्मों में आपने इस एक्टर को विलेन का रोल प्ले करते हुए कई बार देखा होगा। लंबी चौड़ी कद काठी वाले जैक गौड़ आए तो थे फिल्मों में हीरो बनने लेकिन वो कहते हैं न किस्मत हर किसी का साथ नहीं देती। जैक गौड़ के साथ भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। एक फिल्म को छोड़कर जैक गौड़ को किसी भी फिल्म में हीरो बनने का मौका नहीं मिला था और ये सिर्फ एक साइड विलेन बनकर ही रह गए थे।
इस एक्टर की कहानी में कुछ ऐसा बता रहे हैं जिन्हें आप शायद नहीं जानते होंगे! कैसे एक इंसान Indian Navy की नौकरी छोड़ कर अपने बचपन का सपना साकार करने के लिए मुंबई जैसे शहर में हीरो बनने के लिए आ गया था। अब इसे उनका बैड लक कहिए या फिर किस्मत का साथ न देना। फिल्मों में हीरो बनने का जैक गौड़ (Jack Gaud) का सपना पूरा नहीं हो पाया।
जैक गौड़ (Jack Gaud) का जन्म साल 1958 में राजस्थान के खेतरी नगर में हुआ था। बचपन से ही जैक को फिल्में देखना का बहुत शौक था। देखते ही देखते जैक गौड़ का ये शौक फिल्मों में हीरो बनने के लिए बदल गया था। घर में पढ़ाई-लिखाई होने वाले माहौल और सिनेमा को तवज्जों न देने वाले परिवार में हीरो बनने का सफर बहुत मुश्किल था।
जैक गौड़ के परिवार में कई लोग भारतीय सेनाओं में थे। एक्टर बनने की चाह को दिल में दबाकर जैक भी पढ़ाई करने लगे थे। इसी के चलते साल 1977 में इन्हें इंडियन नेवी में सेवा करने का मौका मिल गया था। दिल में हीरो बनने की चाह को दबाकर जैक गौड़ (Jack Gaud) ने इंडियन नेवी ज्वॉइन तो कर ली लेकिन अब भी उनके दिल और दिमाग से हीरो बनने का सपना नहीं जा रहा था। सपनो के आगे हारकर जैक गौड़ ने चंद सालों में ही इंडियन नेवी से इस्तीफा दे दिया था और फिल्मों में हीरो बनने के लिए ये मुंबई आ गए थे।
लंबा चौड़ा शरीर होने और अच्छी पर्सनालिटी के चलते कई डायरेक्टर और प्रोडयूसर जैक से इम्प्रेस हो जाया करते थे। अपनी इसी पर्सनालिटी के दम पर जैक को साल 1984 में पहली बार किसी फिल्म में काम करने का मौका मिला था। इस फिल्म का नाम था इंसाफ कौन करेगा। धर्मेंद्र, रजनीकांत, प्राण और अमरीश पुरी जैसे बड़े कलाकार भी इस फिल्म में मौजूद थे।
इस फिल्म में जैक गौड़ (Jack Gaud) ने प्राण की गैंग के एक गुंडे जगीरा का रोल निभाया था। अपनी दमदार एक्टिंग से जैक गौड़ कई डायरेक्टर्स और प्रोडयूसर की नज़रों में आ गए थे। इसके बाद साल 1985 में जैक गौड़ को सामरी फिल्म में देखा गया था। इस फिल्म में निभाए गए उनके किरदार को लोगों ने काफी पसंद किया था। इतना ही नहीं इस फिल्म में उनके लुक्स की भी काफी चर्चा हुई थी।
इसके बाद जैक को कई बड़े प्रोजेक्ट्स में काम करने का मौका मिला लेकिन हर बार उन्हें केवल साइड रोल्स और विलेन के किरदार ही दिए जाने लगे थे। कहते हैं की यहीं से जैक गौड़ के हीरो बनने का सपना टूटना शुरु हो गया था। इसके बावजूद उनके करियर में एक ऐसी फिल्म भी आई जिसमें उन्हें हीरो बनने का पहला मौका मिला और ये फिल्म थी साल 1992 में रिलीज हुई जंगल का बेटा। डायरेक्टर सुनील कुमार एक ऐसे हीरो को ढूंढ रहे थे जो कद काठी में लंबा चौड़ा हो और टार्जन के रोल में फिट बैठे।
इस रोल के लिए जैक गौड़ सुनील कुमार की पहली पसंद बन गए थे। इस फिल्म से जैक गौड़ ने पहली बार एक हीरो बनकर एक्ट किया था लेकिन यहां भी किस्मत ने जैक का साथ नहीं दिया था। कमजोर कहानी और लचर डायरेक्शन के चलते ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी। इसके साथ ही उनका हीरो बनने का सफर भी खत्म हो गया था।
अपने फिल्मी करियर में जैक गौड़ ने करीब 80 फिल्मों में काम किया। इनके निभाए गए सबसे यादगार किरदारों में करन अर्जुन फिल्म का शमशेर सिंह का किरदार रहा। इसके अलावा संजय दत्त की फिल्म वास्तव में निभाए गया उनका किरदार फ्रेकचर बान्डया भी लोगों को काफी पसंद आया था।
ये भी पढ़ें :- महाभारत में श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले Nitish Bharadwaj को पत्नी ने किया परेशान, तो पहुंचे पुलिस स्टेशन
अपने फिल्मी करियर में जैक गौड़ ने उस दौर के सभी बड़े कलाकारों के साथ काम किया। 8 जून साल 2000 को अचानक आए हार्ट अटैक से जैक गोड़ की मौत हो गई थी। महज 42 साल की उम्र में जैक गौड़ इस दुनिया से चल बसे। उनके अचानक हुए निधन ने बॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियों को शॉक्ड किया था। जैक गौड़ के परिवार की अगर बात करें तो इनकी पत्नी के अलावा इनके दो बेटे हैं। बड़ा बेटा अमित जैक गौड़ भी उन्हीं की तरह फिल्मों में सक्रिय है।