तमिलनाडु में हर साल होने वाले खेल जल्लीकट्टू को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना और इस पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। बता दें कि तमिलनाडु में जल्लीकट्टू को अनुमति देने वाले राज्य सरकार के कानून को सुप्रीम कोरट ने सही ठहराया है। इसमें हिस्सा लेने वाले बैलों के साथ क्रूरता का हवाला देते हुए कानून रद्द करने की मांग की गई थी। तमिलानाडु के कानून को संसद से पास पशु क्रूरता निरोधक कानून का उल्लंघन बताया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा-नए कानून में क्रूरता के पहलू का ध्यान रखा गया है। यह खेल सदियों से तमिलनाडु की संस्कृति का हिस्सा है। इस बाधित नहीं किया जा सकता है। अगर कोई पशुओं से क्रूरता करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो।
वहीं अदालत ने कहा किसी राज्य की सांस्कृतिक विरासत के मसले पर निर्णय लेने के लिए विधायिका ही सबसे सही संस्था है और यह न्यायपालिका द्वारा तय नहीं की जा सकता। सुप्रीम कोर्टा का कहना है कि पशुओं के प्रति क्रूरता रोकथाम अधिनियम, 2017 जानवरों के दर्द और पीड़ा को काफी हद तक कम करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के उस कानून की वैधता को बरकरार रखा, जिसके तहत सांडो से जुड़े खेल जल्लीकट्टू को मंजूरी दी गई है। न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया। पीठ ने इसी के साथ बैलगाड़ी दौड़ की अनुमति देने वाले महाराष्ट्र के कानून की वैधता भी बरकरार रखी।