कानपुर। जनपद में चूहे अब आमजन से लेकर किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं। कुछ माह पहले नुकीले दांतों वाले इस बेजुबान ने कलेक्टरगंज की गल्ला मंडी को खोद डाला। गहरी सुरंग (Kanpur News) बना ली और गोदामों के अंदर दाखिल हो गए और लाखों का सामान डकार गए। कुछ ऐसा ही मामला घाटमपुर तहसील में सामने आया है। यहां चूहों ने खेतों पर खड़ी गन्ने की फसल पर धावा बोल दिया और करीब 4 करोड़ रूपए से अधिक का गन्ना चूस गए। किसानों का कहना है कि चूहों का गैंग अब भी क्षेत्र में सक्रिय है। उन पर दवाईयां भी असर नहीं करती। बिल्ली और कुत्तों को भी चूहे टक्कर दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि प्रशासन को चूहों के खात्में के लिए कदम उठाना चाहिए।
450 हेक्टेयर भूभाग पर उगाते हैं गन्ना
कानपुर के घाटमपुर को दोआबा कहा जाता है। यहां के किसान सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन करते हैं। हालांकि पहले की अपेक्षा गन्ने की बुआई का रकबा घटा है। क्योंकि घाटमपुर स्थित चीनी मिल पर ताला लग चुका है। वर्तमान में करीब 4 सौ 50 हेक्टेयर भूभाग पर किसान गन्ने की बोआई कर रही हैं। घाटमपुर के गन्ना उत्पादक क्षेत्र में इस साल गन्ने का उत्पादन करीब 30 फीसदी कम हुआ है। लिहाजा फरवरी में ही गुड़ की भठ्ठियां धधकनी बंद हो गई हैं। मिलों के लिए खेतों में गन्ना नहीं बचा है। क्योंकि खेतों में बड़ी संख्या में चूहे लग गए। 4 करोड़ रूपए से ज्यादा का गन्ना चुहू चूस गए। रही सही कसर कम बारिश ने पूरी कर दी। जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ।
20 से 30 प्रतिशत गन्ना चूहे चूस गए
घाटमपुर (Kanpur News) के अलावा सटे जहानाबाद विधानसभाक्षेत्र में किसानों की जीविका का साधन गन्ना है। यहां के किसान खेतों पर सबसे ज्यादा गन्ने की फसल उगाते हैं। यहां पर एक हेक्टेयर में सामान्यता एक हजार क्विंटल से अधिक गन्ना पैदा होता है। घाटमपुर क्षेत्र में साढ़े सौ क्विंटल गन्ना एक हेक्टेयर खेत में किसान उगाते हैं। अक्टूबर और नवंबर में गन्ना तैयार हुआ तो खेतों में बड़ी संख्या में चूहे लग गए। किसान जब तक चूहों की आफत को समझ पात, तब तक करीब 20 से 30 प्रतिशत गन्ना चूहे चूस गए। किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष बारिश के कारण गन्ने की फसल बर्बाद हो गई थी और 2025 में चूहे गन्ने को चूस गए।
दवा रखने बावजूद नहीं भागे चूहे
किसानों ने बताया कि गन्ने की फसल बचाने के लिए खेतों पर चूहे मार दवा भी रखी, लेकिन वह भी काम नहीं आई। क्योंकि चूहे एक खेत से दूसरे खेत घूमते रहे। खेत में जगह-जगह गन्ने के पेड़ चूहों के चूसने से गिर गए। फसल को बचाने के लिए खेतों की सिंचाई भी की गई। जब खेत में पानी सूख गया तो चूहे दोबारा गन्ने में घुस गए। किसानों ने बताया कि गन्ने का सरकारी मूल्य 370 रूपए क्विंटल है। जबकि क्षेत्र में गुड़ बना रहे खांडसारी उद्योग किसानों को नकद 410 रूपए प्रति क्विंटल गन्ने का मूल्य दे रहे थे। किसानों को चूहे और कम बारिश से हुआ नुकसान, इस लिहाज से करीब 4 करोड़ रूपए का हुआ है।
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कुछ इस तरह से बोले किसान
परास (Kanpur News) के किसान रामखेलावन बताते हैं कि गन्ना किसानों को इस साल चूहों ने बड़ा नुकसान पहुंचाया है। अचानक खेत में चूहे लग गए। जिससे गन्ने की फसल को करीब 30 फीसदी नुकसान हुआ है। किसान कल्लू सचान ने बताया कि गन्ने की फसल को कम बारिश से नुकसान हुआ। बची कसर चूहों ने पूरी कर दी। जिससे किसानों को इस साल लगात निकालना मूश्किल हो गया। किसान रघुवीर सचान ने बताया कि गन्ने के खेतों में इस साल बड़ी संख्या में चूहे लग गए। जिससे किसानों को नुकसान हुआ है। चूहों से पहले कम बारिश से भी गन्ने का विकास प्रभावित हुआ था।
चूहों ने बना ली थी सुरंग
बता दें, कभी एशिया की सबसे मंडी के नाम से जाने वाली कलेक्टरगंज मंडी में चूहों ने हमला बोला था। चूहों की वजह से यहां के अनाज दुकानदारों का लाखों का नुकसान हुआ। चूहों ने इनकी दुकानों में जमीन खोद खोद कर गहरी सुरंगे बना ली थी। वे उसी में छुप जाते हैं और अनाजों के बोरे काट-काट कर सारा अनाज चट कर जाते थे। ये चूहे इतने मोटे-मोटे थे कि दोनों हाथ के पंजों में अगर इनको पकड़ा जाए तो नहीं आ सकते थे। ये इतने खतरनाक थे कि ये इंसानों पर कूदकर हमला करते थे।
चूहों के लिए रखने पड़े गार्ड
दुकानदारों ने पहले (Kanpur News) इनको भगाने के लिए बड़ी-बड़ी बिल्लियां पाली थीं, लेकिन ये चूहे इतनी ज्यादा संख्या में हैं कि कई बिल्लियां भी इनको पकड़ने में हार मान गईं। क्योंकि बिल्लियों को देखकर ये चूहे सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा होकर दुकानों में बनी सुरंगों से निकल आते हैं और बिल्ली पर ही हमला कर देते हैं। ऐसे में बिल्लियों की जगह यहां के दुकानदारों ने चूहों को भगाने के लिए गार्ड रखने शुरू कर दिए। ये गार्ड भी सिर्फ इतना काम कर पाते हैं कि जब चूहे बोरा काटते हैं तो वे डंडा मार देते हैं।