कानपुर ऑनलाइन डेस्क। हरवर्ष डेंगू की चपेट में आने से हजारों लोगों की जान चली जाती है। गांव-गांव बुखार की चपेट में आ जाते हैं और सरकार को करोड़ों रूपए इसकी रोकथाम के लिए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने मच्छरों से होने वाली बीमारियों से निपटने (Kanpur News) के लिए यह अनोखा तरीका खोजा है। रिसर्च के बाद पाया गया है कि नर मच्छरों का बहरा कर देने से डेंगू, येलो फीवर और जीका जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।
हर साल हजारों लोगों की हो जाती है मौत
दुनिया के अधिकांश (Kanpur News) देश मच्छरों से होने वाली बीमारियों से असरग्रस्त हैं, इनमें भारत भी एक है। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका यलो फीवर जैसी कई बीमारियों का कारण मच्छर होते हैं। मच्छरजनित बीमारियों में डेंगू भी प्रमुख है। भारत में वर्ष 2015 से 31 मई 2022 तक डेंगू ने ही डेढ़ हजार से अधिक लोगों की जान ले ली। वहीं विश्व में हर वर्ष मच्छरजनित बीमारियों से लगभग सात लाख लोगों की मौत हो जाती है। अगर यूपी की बात करें तो यहां पर हरसाल डेंगू एक महामारी का रूप धारण करती है और दर्जनों लोगों की अपनी जान गवांनी पड़ती है।
मादा को नर मच्छर से रखा जाएगा दूर
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने मच्छरों से होने वाली बीमारियों से निपटने के लिए यह अनोखा तरीका खोजा है। शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च ने रामबाण इलाज इजाद किया है। शोध में पाया गया है कि नर मच्छर मादा मच्छरों के पंखों की आवाज को सुनकर आकर्षित होते हैं। अध्ययन के अनुसार, मादा मच्छरों के पंखों की आवाज नर मच्छर को उनके करीब ले जाती है। इससे नर मच्छर आकर्षित होते हैं और उनका पीछा करते है। इससे प्रजनन बढ़ जाती है। प्रजनन को रोकने के लिए नर मच्छरों को बहरा कर देने से डेंगू को रोका जा सकता है।
बीमारियां फैलाने के लिए मादा मच्छर
रिसर्च में पाया गया है कि आवाज को सुनने के लिए मच्छर जिस जेनेटिक तरीके का इस्तेमाल करते हैं, शोधार्थियों ने एक प्रयोग में उसमें बदलाव किया। नतीजा यह हुआ कि नर मच्छरों ने मादाओं से दूरी बनाए रखी। उन्हें तीन दिन (Kanpur News) तक एक ही पिंजरे में रखा गया, फिर भी वे एक-दूसरे से दूर रहे। बीमारियां फैलाने के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार हैं। इसलिए उन्हें अंडे देने से रोकने की कोशिश से मच्छरों को कम करने में मदद मिल सकती है।
एक मादा 50 से 100 अंडे देती है
शोध में पाया गया है कि एक मादा मच्छर एक बारी में 50 से 100 अंडे दे सकती है। शोधार्थियों ने एडीज एजिप्टी मच्छरों पर यह अध्ययन किया। उन्होंने टीआरपीवीए नामक प्रोटीन को टारगेट किया जो नर मच्छरों को सुनने के लिए जरूरी होता है। एडीज एजिप्टी मच्छर हर साल लगभग 40 करोड़ लोगों में वायरस फैलाते हैं। शोधकर्ताओं ने अब इस मिशन पर काम करना भी शुरू कर दिया है। अगर ये प्रयोग सफल रहा तो मच्छर से फैलने वाली बीमारियों पर बड़े पैमाने पर रोक लग सकती है और हजारों इंसनों की जान सकती है।
मच्छर देते हैं मलेरिया बुखार
मलेरिया मादा (Kanpur News) एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है। ये मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं। इस बीमारी के फैलने का मुख्य कारण एक परजीवी होता है। मलेरिया का मच्छर सुबह या शाम को काटता है। मलेरिया के लक्षण चक्कर आना, सांस फूलना, बुखार हैं। ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस ने साल 1897 में 20 अगस्त को मादा एनाफिलीज मच्छर की खोज की थी, जो मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी का कारण होते हैं। मलेरिया की दवा इजाद हो गई है और समय पर इलाज हो जाने से मलेरिया ठीक हो जाता है।
सबसे घातक होती हैं डेंगू बीमारी
डेंगू बीमारी एडीज एल्बोपिक्टस और एडीज एजिप्टी द्वारा फैलती है। जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी ब्लीडिंग, ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू बुखार के लक्षण, जो आमतौर पर संक्रमण के चार से छह दिन बाद शुरू होते हैं। इसमें तेज बुखार के साथ सिरदर्द, जोड़ों- मांसपेशियों में दर्द, थकान, जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, त्वचा पर लाल चकत्ते की समस्या देखने को मिल सकती है।
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मच्छर के डंग से चढ़ जाता है पीला बुखार
पीला बुखार (पीत ज्वर) एडीज एजिप्टी मच्छरों से फैलने वाला एक गंभीर वायरल रोग है, जो डेंगू बुखार, चिकनगुनिया और जीका बुखार भी फैलाता है। पीला बुखार अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में बहुत ही आम बीमारी है। इस रोग के लक्षण मलेरिया के समान होते हैं, लेकिन इसमें मतली, उल्टी और पीलिया भी शामिल हैं। भारत में पीला बुखार की मामले न के बराबर हैं। ये बीमारी भी मच्छर के काटने से होती है।
मच्छर देते हैं जापानी बुखार
जापानी इंसेफेलाइटिस भी एडीज या कुलीसेटा मच्छर जैसे मच्छरों से फैलता है। जैपनीज़ एंकफ्लाइटस जिसे आसान भाषा में जापानी बुखार कहा जाता है। मच्छर से होने वाली इस बीमारी की वजह से दिमाग में सूजन आ जाती है। इसके अलावा बुखार और शरीर में दर्द इसके सबसे आम लक्षण हैं। गंभीर मामलों में मरीज़ व्यवहार में बदलाव, कंफ्यूज़न, कंपकंपी और यहां तक की कोमा में भी जा सकता है।
जीका एक वायरल बीमारी
जीका एक वायरल बीमारी है, जो एडीज मच्छर से फैलती है, जो दिन में काटता है। जीका के सबसे आम लक्षणों में, बुखार, दाने, जोड़ों में दर्द और लाल आंखें हैं। इस रोग के लक्षण कुछ दिनों से लेकर एक सप्ताह तक रहते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान यह बीमारी और भी ज्यादा खतरनाक हो सकती है। इससे गंभीर जन्म दोष माइक्रोसेफली और विकृतियां हो सकती है, जिन्हें जन्मजात जीका सिंड्रोम के रूप में जाना जाता है।
मच्छर के काटने से होता है चिकनगुनिया
चिकनगुनिया (Kanpur News) यह बीमारी, एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों के माध्यम से फैलती है। चिकनगुनिया के मरीजों में सिरदर्द, बुखार, मतली, उल्टी और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण देखे जाते हैं। यूपी के कई जनपदों में हर साल चिकनगुलिया दस्तक देता है। ये बुखार इंसानों को तोड़ देता है। शरीर से खून की कमी हो जाती है। अगर समय पर इलाज नहीं हो पाए तो ये इंसानों की जान भी ले लेता है।
वेस्ट नाइल वायरस मच्छर जनित बीमारी
वेस्ट नाइल वायरस मच्छर जनित बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित मच्छरों के काटने के कारण फैलती है। यह विभिन्न प्रजातियों द्वारा फैलने वाली बीमारी है, जिसे प्राथमिक प्रजाति क्यूलेक्स पिपियन्स के रूप में जाना जाता है। वेस्ट नाइल वायरस कुछ दिनों से कई हफ्तों तक व्यक्ति के शरीर में रह सकता है। इस वायरस से संक्रमित 80 फीसद लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। इसमें कुछ फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और दुर्लभ मामलों में स्थायी रुप से न्योरोलॉजिकल डैमेज भी हो सकता है।