Kerala: केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के सदस्यों के खिलाफ केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने केएसआरटीसी (KSRTC) के पक्ष में फैसला सुनाया है. दरअसल, PFI के कई ठिकानों पर NIA और Ed की छापेमारी के बाद केरल में कई जगहों पर PFI के सदस्यों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान PFI सदस्यों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ की.
इसके अलावा उन्होंने राज्य परिवहन की बसों में आग लगा दी थी. जिसके बाद राज्य सरकार और KSRTC ने करीब 5 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया था. उन्होंने हाईकोर्ट में जाकर इस नुकसान के मुआवजे की मांग की. इस पर केरल हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि संगठन को 5.20 करोड़ रुपये देने होंगे. आपको बता दें कि, केरल हाईकोर्ट के जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार और जस्टिस मोहम्मद नियाज सीपी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है.
PFI के प्रदर्शनों पर High Court का एक्शन
दरअसल विरोध के दौरान PFI के सदस्य काफी उग्र हो गए थे जिसके बाद उन्होंने निजी और सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया है. यह मामला तब है जब PFI नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में हड़ताल का आह्वान किया गया था. यह हड़ताल 23 सितंबर को बुलाई गई थी. इस क्रम में कोर्ट ने कहा, ‘राजनीतिक कारणों से, पार्टी या अन्य कारणों से राज्य में कोई फ्लैश स्ट्राइक नहीं होगी. इस तरह से आम लोगों के जीवन को खतरे में नहीं डाला जाएगा.
आदेश जारी कर गैरकानूनी संगठन घोषित
कोर्ट ने आग कहा, अगर कोई ऐसा करता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. आपका अपना संगठन है, आप किसी भी मुद्दे पर विरोध कर सकते हैं. लेकिन फ्लैश स्ट्राइक नहीं. इसी के साथ ही केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद केरल सरकार ने भी PFI को लेकर एक आदेश जारी किया है. सरकार ने लिखित में एक आदेश जारी कर कहा है कि PFI और उसके सहयोगियों को गैरकानूनी संघ घोषित किया गया है.
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