लखनऊ: मनोहर लाल पंथ, जिसकी वजह से ललितपुर से 15 साल बाद भाजपा को जीत मिली। वो नेता जिसे बुंदेलखंड की दलित राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता है। ये वो नेता हैं, जिन्होंने 22 साल में मजदूर से श्रम राज्यमंत्री तक का सफर तय कर लिया। मनोहर लाल पंथ के प्रारंभिक जीवन की बात करे तो उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। परिवार का पेट पालने के लिए पिता मूर्ति बनाने का काम करते थे। जैसे-तैसे खाने के पैसे जुट पाते थे। घर में पैसे की समस्या बढ़ने लगी। जिस वजह से मनोहर को 10वीं में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पढ़ाई छोड़ने के बाद पैसे कमाने के लिए मनोहर अपने पिता को मूर्तियां बनाने में मदद करने लगे। इसके साथ-साथ बाकी बचे वक्त में वो मजदूरी करके भी कुछ पैसे कमा लेते थे।
20 साल पहले तक बुंदेलखंड की राजनीति में बुंदेला परिवार एक बड़ा नाम था। कहा जाता था कि ललितपुर समेत बुंदेलखंड के जनप्रतिनिधि भी इसी घराने से तय किया जाता था। मनोहर लाल इस घराने के संपर्क में आए और धीरे-धीरे मनोहर की साख इस क्षेत्र में मजबूत होने लगी। 1995 में मनोहर पहली बार जिला पंचायत सदस्य बने। सीट का नाम था बांसी। शुरू से ही बीजेपी के साथ थे। जल्द ही अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष बना दिए गए। यहां से शुरू हुई राजनीति 17 साल तक जिला पंचायत के आसपास ही घूमती रही।
साल 2000 में दोबारा जिला पंचायत चुनाव लड़े लेकिन हार गए। इसी चुनाव में अन्य सीट से खड़ी उनकी पत्नी कस्तूरी देवी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत गईं।
जबकि साल 2005 में मनोहर और उनकी पत्नी पंचायत चुनाव में फिर उतरे। इस बार दोनों हार गए। विधानसभा चुनाव साल 2012 में बीजेपी के टिकट पर लड़े, लेकिन बसपा के फेरनलाल अहिरवार से महज 1700 वोटों से हार गए। साल 2017 में बीजेपी ने मनोहर को फिर से टिकट दिया। ललितपुर की महरौनी विधानसभा से चुनाव लड़े। इस बार 99 हजार 564 वोटों से जीत गए। ये एक ऐसी सीट है, जहां पिछले 15 साल से BJP चुनाव नहीं जीती थी। मनोहर बीजेपी से पहली बार चुनाव जीते। सीधे राज्यमंत्री बना दिए गए। बस यहीं से मनोहर की सियासी पकड़ मजबूत होने लगी।
इस बार ललितपुर की महरौनी विधानसभा में योगी सरकार में मनोहर ने 1 लाख 84 हजार 778 वोट पाकर दोबारा जीत का रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने बसपा प्रत्याशी किरन रमेश खटीक को 1 लाख 10 हजार 451 वोटों के अंतर से हराया। यहां सपा प्रत्याशी रामविलास रजक 58 हजार 381 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। 25 मार्च को मनोहर ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली। 28 मार्च को उन्हें श्रम और सेवायोजन मंत्री बनाया गया।