नई दिल्ली। इंडिया का नाम भारत रखने पर विवाद पैदा हो गया है. पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार इसको लेकर तकरार हो रहा है. देश में इस वक्त नाम बदलने को लेकर खड़ा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. हालांकि ये पहली बार नहीं जब इंडिया के नाम बदलने की कोशिश की गई है, इससे पहले भी कई नेता नाम में बदलाव करने की मांग की आवाज संसद में उठा चुके हैं. आइए जानते हैं कि इस विवाद के पिछे का क्या कारण है.
यहां से शुरु हुआ इंडिया-भारत नाम का विवाद
बता दें कि सत्ताधारी बीजेपी एलायंस NDA (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) के सामने 28 विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इनक्लूसिव एलायंस) बनाई है. वहीं दूसरी तरफ भारत की अध्यक्षता में जी-20 का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितबंर को दिल्ली में होने वाला है. इसको लेकर राष्ट्रपति भवन में डिनर का आयोजन किया गया है और कई राष्ट्रध्यक्षों को निमंत्रण भेजा गया है. इस निमंत्रण पत्र में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ लिखा गया है. इसी के बाद इंडिया का नाम बदले जाने की अफवाह तेज हो गई है.
2004 में मुलायम सिंह यादव ने लाया था प्रस्ताव
बता दें कि समय-समय पर इंडिया का नाम बदले जाने की कोशिश होती रही है. करीब 20 साल पहले 2004 में समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव ने इसको लेकर सदन में प्रस्ताव लाया था. ये प्रस्ताव ‘इंडिया दैट इस भारत’ की जगह ‘भारत दैट इज इंडिया’ लाने का प्रस्ताव लाया गया था. सदन में कार्यवाही के दौरान सपा नेता ने कहा था कि सविंधान में पहले आर्टिकल में ‘इंडिया दैट इस भारत’ की जगह ‘भारत दैट इज इंडिया’ लिख दिया जाए.
2012 में कांग्रेस सांसद ने लाया था प्रस्ताव
गौरतलब है कि इसके बाद 9 अगस्त 2012 को कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शांताराम नाइक ने इंडिया का नाम भारत करने के लिए सदन में तीन प्रस्ताव लाया था. पहले प्रस्ताव में प्रस्ताव के अंदर इंडिया की जगह पर भारत रखने के लिए कहा गया था, दूसरे प्रस्ताव में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ वाक्य की जगह भारत लिखा जाए, वहीं तीसरे प्रस्ताव में संविधान में जिन-जिन स्थानों पर इंडिया लिखा है, वहां पर भारत लिखा जाए.
2014 में योगी आदित्यनाथ ने पेश किया था विधेयक
साल 2014 में बीजेपी नेता योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था. इसमें उन्होंने इंडिया शब्द की जगह हिंदुस्तान शब्द करने का प्रस्ताव दिया था. इस दौरान तर्क दिया गया कि देश के प्राचीन नाम भारत को मान्यता दी जाए. इसको संविधान में उचित स्थान दिया जाए, वहीं अंग्रेजों द्वारा दिए गए इंडिया नाम की लोकप्रियता के चलते हमारा पारंपरिक नाम हिंदुस्तान पिछे छूट गया. इसलिए संविधान में जहां-जहां इंडिया लिखा है, उसको हिंदुस्तान किया जाए और इंडिया दैट इज भारत की जगह इंडिया दैट इज हिंदुस्तान लिखा जाए.