रियल एस्टेट का नया ‘क्लीन एयर’ ट्रेंड: अब पहाड़ों जैसी हवा मिलेगी घर के अंदर!

प्रदूषण के कारण अब साफ हवा एक महंगी लग्जरी बन गई है। दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे शहरों में, रियल एस्टेट बिल्डर्स ऐसे प्रीमियम घर बेच रहे हैं जहां घर के अंदर की हवा का AQI पहाड़ों जैसा साफ होगा। यह ट्रेंड स्वास्थ्य संकट और बढ़ती जागरूकता का नतीजा है।

Indian Luxury Real Estate: प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे बड़े शहरों में साफ हवा एक महंगी ‘लग्जरी एमेनिटी’ बन गई है। लोग प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जिससे स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ रही हैं। इस गंभीर संकट के बीच, भारत के रियल एस्टेट सेक्टर में एक बड़ा बदलाव आया है। अब बिल्डर्स सिर्फ चार दीवारें नहीं, बल्कि ‘सांस लेने लायक हवा’ बेच रहे हैं। देश के बड़े शहरों में ऐसे प्रीमियम हाउसिंग प्रोजेक्ट्स आ रहे हैं, जिनके लिए दावा किया जा रहा है कि उनके घरों के अंदर की हवा, पहाड़ों जैसी साफ और ताजी होगी, जिसका AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) कम होगा।

यह ट्रेंड इस बात का कड़वा सच है कि स्वास्थ्य के प्रति हमारी बढ़ती जागरूकता हमें भविष्य की एक महंगी जरूरत की ओर धकेल रही है। अब लग्जरी घरों की पहचान महंगे टाइल्स या स्विमिंग पूल नहीं, बल्कि स्वच्छ इनडोर एयर क्वालिटी बन गई है।

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‘क्लीन एयर होम्स’ की बढ़ती जरूरत और तकनीक

आज, Indian खरीदार वैज्ञानिक रूप से डिज़ाइन किए गए ऐसे घरों की तलाश कर रहे हैं जो न केवल धूल और PM2.5 को रोकें, बल्कि नियंत्रित वेंटिलेशन भी सुनिश्चित करें। गुरुग्राम, बेंगलुरु और नोएडा के कई बिल्डर ऐसे प्रोजेक्ट ला रहे हैं। उदाहरण के लिए, नोएडा के सेक्टर 168 में निंबस रियल्टी ‘निंबस द अरिस्टा लक्स’ नामक एक प्रोजेक्ट लेकर आ रहा है। कंपनी के सीईओ साहिल अग्रवाल का कहना है कि उनकी कोशिश है कि लोगों को पहाड़ों जैसी साफ हवा का अनुभव मिले।

यह सिस्टम कैसे काम करता है?

Indian बिल्डर्स एक बहु-स्तरीय एयर फिल्ट्रेशन सिस्टम का उपयोग करते हैं।

  • कई चरणों में सफाई: घर के बाहर की हवा को अंदर आने से पहले कई लेवल पर फिल्टर किया जाता है।

  • HEPA फिल्टर की सुरक्षा: इसमें HEPA फिल्टर की खास परतें लगी होती हैं। ये फिल्टर हवा से धूल और प्रदूषण के सबसे छोटे कणों ($PM_{2.5}$) को भी पूरी तरह हटा देते हैं।

  • गंध अवरोधन: यह सिस्टम ट्रैफिक के धुएं, नालों या कचरे के ढेर से आने वाली बुरी गंध को भी रोक देता है, जिससे हवा स्वच्छ और ताजी बनी रहती है।

बदल रहा है निर्माण का तरीका

ये ‘क्लीन एयर होम्स’ सिर्फ एक एयर प्यूरिफायर लगाने से अलग होते हैं। Indian बिल्डर्स पूरे प्रोजेक्ट के डिजाइन और इन्फ्रास्ट्रक्चर में बदलाव कर रहे हैं:

  • वाहन-मुक्त क्षेत्र: कई डेवलपर्स प्रोजेक्ट के निचले स्तरों को वाहन-मुक्त रखते हैं और ग्राउंड लेवल पर हरियाली विकसित करते हैं, ताकि आसपास का वातावरण गाड़ी के धुएं से मुक्त रहे।

  • बायो वॉल: बेंगलुरु के एक प्रोजेक्ट में हजारों पौधों की विशाल बायो वॉल बनाई गई है, जो प्राकृतिक रूप से हवा को फिल्टर करती है।

  • ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणन: ज्यादातर प्रीमियम प्रोजेक्ट्स अब IGBC (इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल) या GRIHA द्वारा प्रमाणित होते हैं, जो इनडोर एयर क्वालिटी मानकों को सुनिश्चित करते हैं।

  • आधुनिक डिज़ाइन: आधुनिक डिज़ाइन में ‘Wind Corridors’ और स्मार्ट वेंटिलेशन सिस्टम शामिल किए जा रहे हैं ताकि CO₂ का स्तर सामान्य बना रहे।

एक समय था जब Indian लोगों की बुनियादी जरूरतें बस एक अच्छा घर, पानी और बिजली थीं, लेकिन आज ‘साफ हवा’ भी एक बुनियादी जरूरत बन चुकी है। पहले एयर प्यूरीफायर कंपनियां इस कमी का फायदा उठा रही थीं, और अब इसी कमी ने रियल एस्टेट में एक नया ट्रेंड खड़ा कर दिया है। लोग अब करोड़ों रुपये के घर केवल इसलिए खरीदने को मजबूर हैं, क्योंकि उन्हें यकीन होता जा रहा है कि शहर की हवा का प्राकृतिक रूप से साफ होना लगभग असंभव है।

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