Bangladesh Army Hijab: बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक उथल-पुथल ने देश में इस्लामीकरण की लहर को तेजी से बढ़ावा दिया है। जब से प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का पतन हुआ है, तब से कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। इस माहौल में बांग्लादेशी सेना ने एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद कदम उठाया है—महिला सैनिकों को हिजाब पहनने की अनुमति देना। यह निर्णय न केवल बांग्लादेश की सेना के नियमों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, बल्कि यह देश में धार्मिक पहचान और अधिकारों के संबंध में चल रही बहस को भी गहराई से प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम इस नए नियम, इसकी पृष्ठभूमि और बांग्लादेश की सेना में महिलाओं की भर्ती के इतिहास पर चर्चा करेंगे।
इस्लामीकरण का बढ़ता प्रभाव
Bangladesh में हालिया राजनीतिक परिवर्तनों के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई है, जिसके फलस्वरूप देश में इस्लामीकरण की लहर तेजी से बढ़ रही है। पहले कभी नहीं देखा गया कि बांग्लादेश की सेना कट्टरपंथियों के सामने इस कदर झुक रही हो।
हिजाब पहनने की अनुमति
हाल ही में बांग्लादेशी सेना ने महिला सैनिकों को हिजाब पहनने की अनुमति दे दी है। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, क्योंकि साल 2000 में जब से महिलाओं को सेना में भर्ती किया गया था, तब से हिजाब पहनना उनके लिए प्रतिबंधित था। कट्टरपंथी तत्वों के दबाव के चलते अब सेना ने अपने नियमों में यह परिवर्तन किया है।
आदेश और प्रक्रिया
Bangladesh मीडिया के अनुसार, एडजुटेंट जनरल कार्यालय ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि महिला सैनिकों को अब हिजाब पहनने की स्वतंत्रता है। इस निर्णय के तहत, 3 सितंबर को आयोजित पीएसओ सम्मेलन में यह सैद्धांतिक निर्णय लिया गया था। अब महिला अधिकारियों, नर्सिंग स्टाफ और अन्य सैन्यकर्मियों पर हिजाब पहनने का जो प्रतिबंध था, वह हटा दिया गया है।
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विभिन्न वर्दियों के साथ हिजाब
एडजुटेंट जनरल कार्यालय ने निर्देश दिया है कि महिला सैनिकों के लिए अलग-अलग वर्दियों, जैसे कि लड़ाकू वर्दी, कामकाजी वर्दी, और साड़ी के साथ हिजाब पहनने के सैंपल तैयार किए जाएं। इस दिशा में, हिजाब के विभिन्न फैब्रिक, रंग और माप को भी शामिल किया गया है। सेना ने महिला सैन्यकर्मियों से अपेक्षा की है कि वे हिजाब पहने हुए अपने रंगीन फोटो संबंधित विभाग में 26 सितंबर तक भेजें।
महिलाओं की भर्ती का इतिहास
Bangladesh की सेना में महिलाओं की भर्ती की प्रक्रिया 1997 में शुरू हुई थी। पहली बार साल 2000 में महिलाओं को अफसर बनने की अनुमति दी गई। इसके बाद, 2013 में महिलाओं को सैनिक के रूप में भी शामिल किया गया। हालांकि, अभी भी बांग्लादेश की सेना में महिलाएं पैदल सेना और आर्मर कोर में अफसर बनने की अनुमति नहीं है।
बांग्लादेश में इस्लामीकरण के इस नए दौर के बीच, महिला सैनिकों को दिए गए हिजाब पहनने के अधिकार से समाज में धार्मिक पहचान को लेकर नई बहस शुरू होने की संभावना है।