
भारतीयों से संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का आह्वान करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने एक लंबा पत्र भी जारी किया जिसमें उन्होंने “हमारे संविधान की महानता” पर प्रकाश डाला। मोदी जी ने लिखा कि संविधान ने उन्हें और अन्य लाखों नागरिकों को “सपने देखने और उन्हें साकार करने” का अवसर दिया। उन्होंने याद कराया कि 2014 में पहली बार संसद में प्रवेश के समय और 2019 में पुन चुने जाने के बाद संसद सदन (Central Hall) में उन्होंने संविधान को श्रद्धा-सुमन अर्पित किया यह उनके लिए एक भावनात्मक और प्रतीकात्मक क्षण था।
नागरिकों से अपील: “कर्तव्यों को करें प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने मौलिक अधिकारों के साथ-साथ संविधान में निहित कर्तव्यों (duty) को भी उतना ही संजीदगी से निभाएं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती और देश की प्रगति के लिए यह ज़रूरी है।उनका सुझाव है कि स्कूलों और कॉलेजों में उन युवाओं को विशेष रूप से सम्मानित किया जाए, जो इस संविधान दिवस पर पहली बार वोटिंग के लिए योग्य हुए हैं — यानी 18 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं।
संविधान की अहमियत
मोदी ने कहा कि संविधान हमारे लिए सिर्फ आज़ादी का प्रतीक नहीं — बल्कि समानता, गरिमा, स्वतंत्रता, और सामाजिक-आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की आधारशिला है।उन्होंने आगे कहा कि आज की नीतियाँ, फैसले और हमारी सामूहिक कार्रवाइयाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ते बनाएँगी। अगर हम संविधान के आदर्शों पर चलते रहें, तो एक “विकसित Bharat” (Viksit Bharat) का सपना साकार हो सकता है।