
पहले दो VIP-जटित प्राण प्रतिष्ठा समारोहों के बाद, अयोध्या में मंगलवार को होने वाले राम मंदिर के तीसरे और अंतिम समारोह में मंदिर आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं को सामने लाया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी , RSS प्रमुख मोहन भागवत और CM योगी आदित्यनाथ जी के साथ लगभग 10,000 लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।
ध्वजारोहण
यह ध्वज-फहराने की रस्म मंदिर निर्माण की आधिकारिक “समाप्ति” का प्रतीक मानी जा रही है, जो रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा (जनवरी 2024) के बाद का महत्वपूर्ण पड़ाव है। पताका एक दायाँ कोण बनाने वाला त्रिकोणाकार झण्डा है, जिसकी ऊँचाई 10 फीट और लंबाई 20 फीट है। इस पर एक चमकदार सूर्य का चिन्ह, ‘ॐ’ का अक्षर और कोविदारा वृक्ष की तस्वीर बनी है।यह केसरिया झण्डा “गौरव, एकता और सांस्कृतिक निरंतरता” का संदेश देता है, और रामराज्य के आदर्शों का प्रतीक माना गया है। ध्वजारोहण समारोह दोपहर के करीब होगा। यह आयोजन शुक्ल पक्ष की पंचमि तिथि को रखा गया है, जो अगस्त-मास में राम और सीता की विवाह पंचमी के साथ भी जुड़ा है, और यह दिन गुरु तेग बहादुर जी की शहादत दिवस से भी मेल खाता है।
सुरक्षा के इंतज़ाम
इस समारोह के मद्देनज़र अयोध्या में कड़ी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। लगभग 6,970 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें ATS, NSG, साइबर टीम और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं। ध्वज उस शिखर पर लगाया जाएगा जो उत्तरी भारतीय नागरा शैल शैली में निर्मित है। इसके अलावा मंदिर के चारों ओर लगभग 800 मीटर लंबी परिक्रमा पथ (पारकोटा) है, जो इसकी विशालता और सौंदर्य को दर्शाता है। ध्वजारोहण से पहले, PM मंदिर परिसर के अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों का दौरा करेंगे — जैसे सप्तमंदिर (महार्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि), शेषावतार मंदिर और माता अन्नपूर्णा मंदिर। इसके बाद वे राम दरबार गर्भगृह और रामलला गर्भगृह में पूजा और दर्शन करेंगे। अयोध्या में इस मौके के लिए लगभग 100 टन फूलों का उपयोग कर मंदिर और आसपास के इलाके को फूलों से सजाया गया है, जिससे भारी भक्ति-माहौल बन गया है।
यह ध्वज-फहराना सिर्फ धार्मिक समारोह नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है — यह दर्शाता है कि राम मंदिर अब पूरी तरह से तैयार है और देशभर के श्रद्धालुओं के लिए एक समृद्ध विरासत स्थल बन चुका है।