Delhi Air Pollution: दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर India Gate पर हुए विरोध प्रदर्शन का मामला अब गंभीर हो गया है। राजधानी की खराब होती हवा से परेशान कुछ युवा, छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता 23 November को इंडिया गेट पहुँचे थे, जहाँ उन्होंने सरकार से प्रदूषण पर सख्त कदम उठाने की मांग की। पुलिस पहले ही साफ कर चुकी थी कि इस इलाके में किसी भी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह संवेदनशील और भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है। इसके बावजूद लोग इकट्ठे हुए और नारेबाज़ी शुरू कर दी।
स्थिति तब बिगड़ गई जब पुलिस ने भीड़ को हटाने की कोशिश की और दोनों पक्षों में धक्का-मुक्की होने लगी। पुलिस का आरोप है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल किया, जिसके कारण कई कर्मचारी घायल हुए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। भीड़ हटाने के बाद पुलिस ने जगह-जगह से लोगों को पकड़ा और कुल 22 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। उनके खिलाफ रास्ता जाम करने, पुलिस आदेश न मानने और शांति भंग करने जैसी धाराओं में FIR दर्ज की गई।
न्यायिक मजिस्ट्रेट साहिल मोंगा की Desk 17 छात्रों से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी, जिन्हें 23 नवंबर को प्रदूषण के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करते समय गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ्तार लोगों को जब अदालत में पेश किया गया तो कोर्ट ने चार आरोपियों को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया, ताकि जांच के दौरान उनसे और जानकारी ली जा सके। वहीं 13 अन्य व्यक्तियों को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया। पुलिस का यह भी कहना है कि कुछ आरोपियों ने अपनी पहचान छिपाने के लिए गलत पते दिए थे, और कुछ पोस्टरों में ऐसे नारे लिखे थे जिनके पीछे किसी साजिश या उग्र विचारधारा से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है।
इस घटना के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या दिल्ली में खराब हवा के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को रोकना सही है, या फिर क्या कुछ लोगों ने इस प्रदर्शन का इस्तेमाल किसी अन्य एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए किया। पुलिस अपनी जांच आगे बढ़ा रही है और मोबाइल फोन व डिजिटल रिकॉर्ड की भी पड़ताल की जा रही है। उधर प्रदर्शनकारियों के समर्थकों का कहना है कि बदहाल हवा लोगों की ज़िंदगी पर असर डाल रही है और उन्हें विरोध का हक़ है।
इससे पहले 24 नवंबर को दिल्ली की एक अदालत ने सभी 17 प्रदर्शनकारियों को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, क्योंकि उन्होंने मारे गए माओवादी नेता मादवी हिडमा के समर्थन में नारे लगाए थे।








