चौटाला परिवार और कांग्रेस के लिए सियासी चुनौती, मिर्चपुर कांड से लेकर महिला अपराध तक…

हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों का माहौल गरम है, जहां 1 अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान होने हैं। राज्य की राजनीति में दशकों से प्रभावी कांग्रेस और चौटाला परिवार इस बार कड़ी चुनौती का सामना कर रहे हैं। चुनावी दौड़ में ये दोनों प्रमुख खिलाड़ी अपने राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए संघर्षरत हैं, जबकि उनके पिछले शासनकाल के विवाद और आलोचनाएं भी एक बार फिर चर्चा में हैं।

Haryana
Haryana: हरियाणा में इस साल के विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है, जिसमें 90 सीटों पर एक ही चरण में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। राज्य की राजनीति में कांग्रेस और चौटाला परिवार का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, और इस बार के चुनाव में दोनों के सामने बड़ी चुनौती है। जहां चौटाला परिवार अपनी सियासी वजूद को बचाने में जुटा है, वहीं कांग्रेस को अपने पिछले शासनकाल के कारण आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। आइए, हरियाणा की सियासत और इसके विवादास्पद इतिहास पर एक नजर डालते हैं।

चौटाला परिवार: चार दशकों का वर्चस्व

करीब चार दशकों तक चौटाला परिवार ने Haryana की राजनीति को अपने प्रभाव में रखा। इस परिवार की तीसरी और चौथी पीढ़ी भी आज राजनीतिक मैदान में सक्रिय हैं। चौधरी देवी लाल और ओम प्रकाश चौटाला ने राज्य की सियासत पर गहरी छाप छोड़ी है। देवी लाल ने दो बार और ओम प्रकाश चौटाला ने चार बार राज्य के मुख्यमंत्री पद को संभाला। इनकी सरकारें अक्सर कानून-व्यवस्था के संदर्भ में विवादास्पद मानी गईं, जिससे जनता के बीच भय और अराजकता का माहौल बना।

कांग्रेस शासन: आतंक का युग

Haryana में कांग्रेस का शासन अक्सर ‘आतंक का युग’ के रूप में याद किया जाता है, जिसमें अपराध में उल्लेखनीय वृद्धि, व्यापक भ्रष्टाचार, और दलितों व वंचित समुदायों के प्रति अत्याचार की घटनाएं सामने आईं। खासकर 1980 और 1990 के दशकों में, जब राज्य में सामाजिक और जातिगत हिंसा ने व्यापक रूप से पैर पसारे। मिर्चपुर और गोहाना में दलितों के खिलाफ क्रूर हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया।

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मिर्चपुर कांड (2010)

हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में 2010 में दलित परिवारों पर हुए हमले ने राज्य और देशभर में जातिगत तनाव को बढ़ा दिया। इस हमले में एक 70 वर्षीय व्यक्ति और उसकी विकलांग बेटी की मौत हो गई, जिससे राज्य में जातिगत हिंसा की गंभीरता का पता चला।

कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं के खिलाफ अपराध

कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी देखने को मिली। 2005 से 2014 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े, जिनमें बलात्कार, दहेज हत्या, और घरेलू हिंसा प्रमुख थे।

मनोहर सिंह हत्या और रेप केस (2012)

Haryana के कैथल जिले में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना ने पूरे राज्य में आक्रोश पैदा किया। इस घटना ने कांग्रेस शासनकाल के दौरान महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए।

गैंगरेप की घटनाएं (2005-2014)

भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा में कई गैंगरेप की घटनाएं हुईं। इन घटनाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं, जिससे कांग्रेस की सरकार की आलोचना हुई।

हुड्डा शासन: अनुसूचित जाति समुदाय पर बढ़ते अत्याचार

भूपिंदर सिंह हुड्डा के Haryana के शासनकाल में अनुसूचित जातियों (एससी) की स्थिति को ‘खतरनाक’ बताया गया। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 2013 में एक संसदीय समिति ने हुड्डा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पूरी जांच या दोषसिद्धि की अनुपस्थिति के कारण स्थिति और खराब हो गई।

कांग्रेस का महिलाओं के प्रति रवैया

कांग्रेस के हिसार जिले के प्रवक्ता धर्मबीर गोयत का बयान कि बलात्कार के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है और ज्यादातर मामलों में सहमति से यौन संबंध होते हैं, ने पार्टी की महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता को उजागर किया। इसके साथ ही प्रमुख महिला नेताओं जैसे कि किरण चौधरी और श्रुति चौधरी का पार्टी से इस्तीफा भी पार्टी के भीतर महिलाओं के प्रति असम्मान की भावना को रेखांकित करता है।

चौटाला परिवार और कांग्रेस के लिए अहम परीक्षा

इस बार के चुनावों में चौटाला परिवार और कांग्रेस दोनों के लिए राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई है। जहां चौटाला परिवार अपनी विरासत को बचाने में जुटा है, वहीं कांग्रेस को अपने पिछले शासनकाल के विवादों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि हरियाणा की जनता किसे अपने विश्वास के लायक मानती है।

सरकारें और अपराध की समयरेखा (1966-2014)

1960 का दशक

  • 1966-1967: पंडित भगवत दयाल शर्मा (कांग्रेस)
  • 1968-1972: बंसी लाल (कांग्रेस)

1970 का दशक

  • 1972-1975: बंसी लाल (कांग्रेस)
  • 1975-1977: बनारसी दास गुप्ता (कांग्रेस)
  • 1977-1979: चौधरी देवी लाल (जनता पार्टी)
  • 1979-1986: भजनलाल (कांग्रेस)

1980 का दशक

  • 1986-1987: बंसी लाल (कांग्रेस)
  • 1987-1989: चौधरी देवी लाल (लोकदल)
  • 1989-1990: ओम प्रकाश चौटाला (जनता पार्टी)

1990 का दशक

  • 1990-1991: ओम प्रकाश चौटाला (जनता पार्टी)
  • 1991: ओम प्रकाश चौटाला (जनता पार्टी)
  • 1991-1996: भजन लाल (कांग्रेस)
  • 1999-2005: ओम प्रकाश चौटाला (इंडियन नेशनल लोकदल)

2000 का दशक

  • 2005-2009: भूपिंदर सिंह हुड्डा (कांग्रेस)

2010 का दशक

  • 2009-2014: भूपिंदर सिंह हुड्डा (कांग्रेस)

महिलाओं के खिलाफ अपराध (2010-2014)

  • बलात्कार के मामले:
    • 2010: 733
    • 2014: 1,187 (वृद्धि)
  • दहेज हत्या:
    • 2010: 259
    • 2014: 245 (कमी)
  • घरेलू हिंसा (IPC 498A):
    • 2010: 1,168
    • 2014: 2,274 (वृद्धि)

नोट

  • चौटाला परिवार का शासन विवादास्पद रहा, विशेषकर कानून-व्यवस्था के मामले में।
  • कांग्रेस ने लंबे समय तक शासन किया, लेकिन बीच-बीच में अन्य दलों की सरकारें भी रहीं।
  • 2010-2014 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई, विशेषकर बलात्कार और घरेलू हिंसा के मामलों में।
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