हादसे का समय और स्थान
यह हादसा Jharkhand चक्रधरपुर के राजखरसवां और बड़ाबाम्बो के बीच मंगलवार की सुबह करीब पौने 4 बजे हुआ। ट्रेन नंबर 12810 हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस अपने सफर पर थी कि चक्रधरपुर डिवीजन के राजखरसवां वेस्ट आउटर और बड़ाबांबू के बीच पटरी से उतर गई। डिरेल होने के बाद बोगियां साथ वाली पटरी पर खड़ी मालगाड़ी से भिड़ गईं।
घटनास्थल पर हड़कंप और राहत कार्य
हादसे के तुरंत बाद घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। यात्रियों में हड़कंप मच गया और कई लोग मदद की गुहार लगाने लगे। घटना की सूचना मिलते ही GRP और रेलवे अधिकारी मौके पर पहुंचे। राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ सहित अन्य बचाव दल भी पहुंच गए हैं। रेलवे की मेडिकल टीम ने मौके पर आकर घायलों को प्राथमिक उपचार दिया।
#TrainAccident | 12810 Howrah-Mumbai Express derailed at 3:45 am near Chakradharpur, Jharkhand, resulting in a devastating accident.
Our thoughts are with the affected passengers & their families.
However, we cannot help but express outrage & concern over the recurring railway… pic.twitter.com/UtYQh7g4CB
— Nilanjan Das (@NilanjanDasAITC) July 30, 2024
हादसे की वजह
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि इसी स्थान पर दो दिन पहले एक मालगाड़ी डिरेल हुई थी, जिसके वैगन ट्रैक पर ही पड़े थे। Jharkhand हावड़ा-मुंबई मेल दूसरे ट्रैक से होकर गुजर रही थी और पहले से ट्रैक पर पड़े डिब्बों से टकरा गई। बताया जा रहा है कि मुंबई मेल एक्सप्रेस ट्रेन साढ़े तीन घंटे देर से चल रही थी और घटना के समय ट्रेन लगभग 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
हादसे की पुष्टि चक्रधरपुर रेल मंडल के सीनियर DCM आदित्य कुमार चौधरी ने की। राहत और बचाव का कार्य जारी है और रिलीफ ट्रेन मौके पर पहुंच गई है। एंबुलेंस और पुलिस की टीमें भी घटनास्थल पर मौजूद हैं। सरायकेला उपायुक्त भी मौके पर पहुंचे। पैसेंजरों ने बताया कि टाटानगर से जैसे ही ट्रेन बड़ाबाम्बो से आगे निकली, अचानक तेज आवाज के साथ ट्रेन बेपटरी हो गई।
सुरक्षा उपाय
घायलों को चक्रधरपुर के रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रेलवे और प्रशासनिक अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि घायलों को सभी आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है और घटना की जांच की जा रही है। हावड़ा-मुम्बई रेलवे लाइन पर ट्रेनों की आवाजाही बंद कर दी गई है ताकि राहत और बचाव कार्य बिना किसी रुकावट के पूरा किया जा सके।