भाग मिल्खा भाग (Bhaag Milkha Bhaag) इस फिल्म के रिलीज होने के बाद हर उम्र के लोगों खासकर युवाओं को ये पता चला था कि मिल्खा सिंह (Milkha Singh) आखिर कौन थे। आज यानी 20 नवंबर को मिल्खा सिंह के जन्मदिवस पर उनके बारे में आपको कुछ खास बताए इससे पहले उनके जीवन पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग में मिल्खा सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता के बारे में बात कर लेते हैं।
मशहूर लेखक जावेद (Javed Akhtar) के बेटे और एक्टर फरहान अख्तर (Farhan Akhtar) ने इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार निभा कर न केवल अभिनय की दुनिया में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवाया बल्कि इसके अलावा जब कभी मिल्खा सिंह का जिक्र होता है तो लोगों के सामने फरहान अख्तर का चेहरा सामने आने लगता है। कमाल के अभिनय और शारीरिक रूप को मिल्खा सिंह जी की तरह ढाल कर फरहान इस फिल्म की पूरी लाइमलाइट लूट ले गए थे।
इस फिल्म में भारत की शान कहे जाने वाले मिल्खा सिंह के किरदार के साथ फरहान अख्तर ने शत प्रतिशत न्याय किया था। रिलीज के 10 साल बाद आज भी ये फिल्म लोगों को उतना ही इंस्पायर करती है जितना रिलीज के शुरुआती दिनों में किया था। चलिए अब मिल्खा सिंह के जन्मदिवस पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास।
बचपन में ही अपने मा-बाप का आंखों के सामने कत्ल होता देखना हर किसी के लिए असहनीय होता है लेकिन सच में इस मंजर को मिल्खा सिंह ने खुद अपनी आंखों से देखा था। माता-पिता के साथ-साथ परिवार के दूसरे सदस्य भी मारे गए थे। बमुश्किल जान बचाकर भागकर दिल्ली पहुंचे थे मिल्खा सिंह। यहां रिश्तेदारों के सहारा देने के बाद उनकी जिंदगी की गाड़ी कुछ आगे बढ़ी थी। इसके बाद मिल्खा भारतीय सेना का हिस्सा बने। इसी दौरान उनका स्पोर्ट्स की तरफ झुकाव बढ़ने लगा।
बस यहीं से शुरु हुआ मिल्खा सिंह के फ्लाइंग सिख बनने का सफर। फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मिल्खा सिंह जी की कहानी जितनी प्रेरक है उससे ज्यादा कहीं रोमांच से भरी हुई है। 20 नवंबर साल 1929 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गोविंदपुर में एक सिख परिवार में मिल्खा सिंह का जन्म हुआ था। उनका जीवन बड़े दुखों के साथ गुजरा लेकिन हार न मानने और जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा लिए मिल्खा ने कई कीर्तिमान अपने नाम किए।
जब देश को कॉमनवेल्थ गेम्स में दिलाया था पहला स्वर्ण पदक
उस दौर को आज भी कुछ लोग याद करते हैं जब मिल्खा सिंह भारत देश के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला स्वर्ण पदक जीतकर लाए थे। साल 1958 में उन्होंने इस कारनामे को अंजाम दिया था। इसी साल एशियन गेम्स में जापान के टोक्यो में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। साल 1960 में रोम के ओलंपिक में वे चौथे स्थान पर रह गए थे, जिसका उन्हें जीवन भर मलाल रहा था।
यह उनकी अंतिम इच्छा भी रही कि कोई भारतीय वह पदक लाकर भारत की झोली में डाल दे, जिसे वे जीतने में सफल नहीं हो पाए थे। रोम में ही 400 मीटर स्पर्धा में 45.73 का समय 40 साल तक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना रहा। उसे कोई तोड़ नहीं सका। साल 1958 के कॉमनवेल्थ गेम में आजाद भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा सिंह का रिकॉर्ड 58 साल तक कोई भी भारतीय नहीं तोड़ पाया। साल 2014 में विकास गौड़ा ने उनकी इस उपलब्धि को हासिल किया, जो डिस्कस थ्रोअर है।
जब पाकिस्तानी जनरल ने दी थी फ्लाइंग सिख की उपाधि
आपने फिल्म में फरहान अख्तर को पाकिस्तान के धावक को पछाड़ते हुए देखा था। मिल्खा सिंह ने पाकिस्तान की शान कहे जाने वाले अब्दुल खालिद को एक सेकंड के 10वें हिस्से में शिकस्त दी थी। उस दौरान एशियाई खेलों में 200 मीटर का स्वर्ण पदक मिल्खा सिंह ने जीता था। इस जीत के बाद पाकिस्तान ने उन्हें आमंत्रित किया था लेकिन बचपन की भयानक यादों के चलते मिल्खा सिंह वहां जाने को तैयार नहीं थे लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के समझाने और मनाने के बाद मिल्खा सिंह पाकिस्तान गए थे। उनका पाकिस्तान में शानदार तरीके से स्वागत किया गया। वाघा बॉर्डर से लाहौर तक मिल्खा सिंह का जोरदार स्वागत किया गया था। इसी के साथ स्टेडियम में दौड़ पूरी होने के बाद पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने उन्हें सम्मानित करते हुए फ्लाइंग सिख की उपाधि से नवाजा था जो आज भी कायम है। साल 2021 में कोरोना के चलते 91 साल की उम्र में इस महान खिलाड़ी ने हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से विदाई ले ली थी। इस महान शख्सियत को देश हमेशा उनकी दी गई उपलब्धियों के लिए याद रखेगा।