Srinagar Lok Sabha Election 2024: कहीं बंदूकों की आवाजें… कहीं गोलियों की बौछार… तो कहीं बम के धमाके… बस यही हाल था जम्मू-कश्मीर का। लेकिन इस बार प्रदेश की फिजा बदली और बदलाव की नई बयार चलने लगी। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) हटते ही मानों प्रदेश बेड़ियों से मुक्त हो गया हो। लोकसभा चुनाव के दौरान कश्मीर की जनता में अलग जोश और उमंग देखने को मिला। न किसी अलगाववादी ने चुनाव का बहिष्कार किया और न ही किसी आतंकवादियों ने चुनाव से अलग रहने की धमकी दी। 35 साल बाद श्रीनगर में पहला चुनाव हो रहा है, जिसके लिए किसी भी दल ने चुनावों के बहिष्कार का आह्वान नहीं किया।
श्रीनगर (Srinagar General Election 2024) में वोटिंग को लेकर मतदाता इस कदर उत्साहित दिखे कि कोई सीधे शादी के मंडप से मतदान केंद्र पहुंचा, तो कोई मेहंदी के बाद, कोई शेरवानी में नजर आया तो कोई पारंपरिक वेशभूषा में। यहां तक की दिव्यांग भी व्हीलचेयर के सहारे मतदान करने पहुंचे और देश की नई सरकार चुनने में अपना योगदान दिया। श्रीनगर सीट में 17.43 लाख मतदाता है, जिसमें 8,73,426 पुरुष, 870368 महिलाएं और 53 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।
Srinagar लोकसभा सीट पर 37.99% वोटिंग
धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया। इसी के साथ लोगों के अंदर का डर भी छूमंतर हो गया। आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला आम चुनाव हुआ। श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र में 2,135 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ, सभी मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग के साथ 13 मई को सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ और लोगों ने निडरता के साथ अपने मताधिकार का प्रयोग किया। श्रीनगर लोकसभा सीट पर 37.99% वोटिंग हुई, जो कई दशकों में सबसे अधिक है। वहीं कंगन विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 58.80 प्रतिशत और हब्बा कदल विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 14.05 फीसदी वोटिंग हुई।
किस जिले में कितने फीसदी मतदान? (Srinagar Voting Percentage)
आंकड़ों के मुताबिक श्रीनगर लोकसभा सीट पर कुल वोटिंग प्रतिशत 37.99% रहा। सेंट्रल शाल्टेंग में 26.43 प्रतिशत, चदूरा में 49.10 प्रतिशत, चरार-ए-शरीफ में 56.00 प्रतिशत, चन्नापोरा में 22.97 प्रतिशत, ईदगाह में 26.81 प्रतिशत, गांदरबल में 49.48 प्रतिशत, हब्बा कदल में 14.05 प्रतिशत, हजरतबल में 28.28 फीसदी, कंगन (एसटी) में 58.80 प्रतिशत, खान साहब में 50.35 प्रतिशत, खानयार में 24.24 प्रतिशत, लाल चौक में 27.33 प्रतिशत, पंपोर में 38.01 प्रतिशत, पुलवामा में 43.39 प्रतिशत, राजपोरा में 45.79 प्रतिशत, शोपियां में 47.88 फीसदी, त्राल में 40.29 प्रतिशत, जदीबल में 29.41 प्रतिशत वोटिंग हुई।
कश्मीरी विस्थापितों के लिए बनाए गए 26 मतदान केंद्र
बता दें कि कश्मीर घाटी से पलायन कर चुके देश के अलग-अलग हिस्सों में बसे कश्मीरी विस्थापितों के लिए 26 मतदान केंद्र बनाए गए। इनमें जम्मू में 21, दिल्ली में चार और उधमपुर में एक केंद्र स्थापित किया गया। इसके अलावा कुल 20 पिंक बूथ बनाए गए हैं, जहां महिला कर्मी तैनात हैं। 18 बूथ दिव्यांग तथा 17 बूथ युवाओं की देखरेख में बने हैं। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए 21 ग्रीन बूथ भी बनाए गए हैं।
2,135 मतदान केंद्र पर 8500 कर्मी तैनात
श्रीनगर, गांदरबल और पुलवामा जिले और बडगाम और शोपियां जिले में 2,135 मतदान केंद्र बनाए गए, जहां पीठासीन अधिकारी के साथ चार मतदान कर्मी तैनात थे। कुल 8500 मतदान कर्मियों को तैनात किया गया था।
24 उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद
बता दें कि श्रीनगर सीट पर INDI अलायंस के सहयोगी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने शिया नेता और पूर्व मंत्री आगा रूहुल्लाह मेहदी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के युवा अध्यक्ष वहीद रहमान पारा और अपनी पार्टी के उम्मीदवार अशरफ मीर समेत कुल 24 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद हो गया। चार जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे।
1996 में हुआ था सबसे ज्यादा 40.94% मतदान
1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरू हो गया था, 1990 और 1991 में यह अपने चरम पर पहुंच गया था, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में कानून-व्यवस्था चरमरा गई थी और 1991 में जम्मू और कश्मीर में 10वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव नहीं हुआ। इसके बाद 1996 में हुए आम चुनाव में श्रीनगर में 40.94 प्रतिशत मतदान हुआ था। 1998 में 30.06 प्रतिशत, 1999 में 11.93 प्रतिशत, 2004 में 18.57 प्रतिशत, 2009 में 25.55 प्रतिशत, 2014 में 25.86 प्रतिशत और 2019 में 14.43 प्रतिशत मतदान हुआ था।
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