Mohammad Yunus: जिस पिता का समर्थक लेकिन बेटी का शत्रु, कौन हैं बांग्लादेश का प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस ?

नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस ने बांग्लादेश में सेना ने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया है। युनूस, जो पहले मुजिब-उर-रहमान का दृढ़ समर्थक था, कैसे बेटी शेख हसीना का दुश्मन बन गए और अब सत्ता में हैं।

Mohammad Yunus

Mohammad Yunus : प्रेस सचिव की घोषणा राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के प्रेस सचिव, नोबेल विजेता और माइक्रोफाइनेंस के अग्रणी Mohammad Yunus, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगे। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, यह निर्णय छात्रों के साथ बातचीत के बाद लिया गया है।

पुरानी स्थिति और नए हालात बांग्लादेश में हिंसा और विरोध प्रदर्शन और तख्तापलट कोई नई बात नहीं है। जुलाई महीने में छात्रों ने आरक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया जिसने हिंसक रूप ले लिया और सैकड़ों लोगों की जान चली गई। इसके बाद प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भाग गईं। अब मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पहले भी ठुकराई थी जिम्मेदारी

2007 में भी पेशकश जनवरी 2007 में भी सेना ने सत्ता पर कब्जा किया था और शेख हसीना और खालिदा जिया जेल में बंद थीं। उस वक्त भी सेना ने मोहम्मद यूनुस को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।

नोबेल पुरस्कार विजेता

नोबेल पुरस्कार का सम्मान मोहम्मद यूनुस को गरीबी मिटाने के सिद्धांत के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है। अब वे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर बनने के लिए तैयार हैं।

Mohammad Yunus का राजनीतिक सफर

शेख हसीना से रिश्ते शेख हसीना के पिता मुजिब-उर-रहमान के खास समर्थक रहे Mohammad Yunus ने बाद में शेख हसीना से चुनाव लड़ने के फैसले के बाद संबंध बिगाड़े। शेख हसीना ने उनकी खूब तारीफ की थी, लेकिन बाद में दोनों के बीच दुश्मनी शुरू हो गई।

आरोप और जेल यूनुस पर 100 से अधिक केस दर्ज हुए और उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में 6 महीने की जेल की सजा सुनाई गई। उनका मानना था कि शेख हसीना ने तानाशाही तरीके से सत्ता हथियाई है।

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शेख हसीना की आलोचना

राजनीति में नए लोग खतरनाक शेख हसीना ने कहा कि राजनीति में नए लोग अक्सर खतरनाक होते हैं। यूनुस ने अपनी पार्टी की स्थापना के सिर्फ 76 दिन बाद ही राजनीति से संन्यास ले लिया।

जांच एजेंसियों का पीछा 2008 में सरकार बनाने के बाद हसीना ने यूनुस के खिलाफ जांच एजेंसियों को लगा दिया। 2011 में उन्हें ग्रामीण बैंक से निकाल दिया गया।

अमेरिकी दूतावास में छुपना

पद्मा पुल विवाद शेख हसीना ने यूनुस को वर्ल्ड बैंक को गुमराह करने का आरोप लगाया। यूनुस को जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं और वे ढाका के अमेरिकी दूतावास में छिपे रहे।

पद्मा पुल का उद्घाटन 2022 में पद्मा पुल बनकर तैयार हुआ और शेख हसीना ने यूनुस पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें पद्मा नदी में डुबा देना चाहिए।

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