हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ‘ करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सरकारी सेवाओं और जनता के प्रति प्रधानमंत्री के समर्पण को और अधिक प्रकट करने के लिए लिया गया है। केंद्रीय सचिवालय के नाम में भी बदलाव किया गया है, सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन होगा। सरकार का मानना है कि यह नाम बदलाव, प्रशासनिक सुधारों और बेहतर सेवा देने के प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस कदम का उद्देश्य केंद्र सरकार की ओर से किए जाने वाले जनकल्याण कार्यों को एक नए आयाम में प्रस्तुत करना है। प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘सेवा तीर्थ‘ नाम देने से जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाएगा, जो इस कार्यालय के कार्यों को और अधिक पारदर्शी और जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने में मदद करेगा।
राजभवनों का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ रखने का प्रस्ताव
इसके साथ ही, केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की है कि देश भर के राजभवनों का नाम बदलकर अब ‘लोकभवन‘ रखा जाएगा। उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु समेत देश के 8 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने अपने राजभवनों के नाम में बदलाव किया है। यह बदलाव गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक निर्देश के बाद किए गए हैं। मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में पिछले साल राज्यपालों के सम्मेलन में हुई एक चर्चा का हवाला देते हुए कहा है कि राज भवन नाम औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। इस फैसले का उद्देश्य राजभवनों को जनता से और अधिक जुड़ा हुआ और उनके हितों के प्रति उत्तरदायी बनाना है।
गृह मंत्रालय के निर्देशों के बाद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने कार्यालयों से ‘राज’ शब्द हटाना शुरू कर दिया है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात और त्रिपुरा ने ‘राजभवन’ का नाम बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया है। लद्दाख के राज निवास का नाम बदलकर ‘लोक निवास’ कर दिया गया है। इस सूची में एक और राज्य जुड़ गया है। राजस्थान ने भी राजभवन का नाम बदलने का एलान कर दिया है।
सरकार का कहना है कि यह कदम भारतीय लोकतंत्र के मूल्यों को बढ़ावा देगा और राज्यपालों के कार्यालय को जनता की सेवा और सशक्तिकरण का प्रतीक बनाएगा। इस पहल से सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि राज्यपालों के कार्यालय की छवि और भूमिका को आम जनता के नजरिए से एक नया दिशा मिले, जिससे प्रशासन और जनता के बीच की दूरी कम हो सके। इस निर्णय के बाद राजभवन अब एक लोकसेवक के रूप में काम करेगा, जो लोगों के बीच विश्वास और सहभागिता को बढ़ावा देगा।
नए नामों का उद्देश्य और महत्व
इन दोनों नाम बदलावों के पीछे सरकार का उद्देश्य प्रशासनिक सुधार और सरकारी संस्थाओं के प्रति जनता की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। ‘सेवा तीर्थ’ और ‘लोकभवन’ जैसे नाम, प्रशासन और सरकारी दफ्तरों के आधिकारिक रूप को आम जनता के लिए और अधिक सुलभ और प्रतीकात्मक बनाने के रूप में देखे जा रहे हैं।










