Supreme Court: मंगलवार, 17 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से जुड़े मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करेगा। यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें 18 मामलों की सुनवाई की अनुमति दी गई थी। इन याचिकाओं को हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल किया गया था, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।
मामला Supreme Court में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के सामने पेश होगा। यह याचिका मस्जिद प्रबंधन ट्रस्ट समिति द्वारा एडवोकेट आरएचए सिकंदर के माध्यम से दायर की गई है। हाईकोर्ट के आदेश में मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह विवाद 1991 के पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम का उल्लंघन करता है।
क्या है विवाद?
यह विवाद मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि से सटे शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी, जिसे औरंगजेब के शासनकाल में तोड़ा गया था। उन्होंने मस्जिद को हटाकर मंदिर की पुनर्स्थापना की मांग की है।
दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त 1947 के बाद नहीं बदला जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद परिसर में किसी भी प्रकार के परिवर्तन की मांग करना इस अधिनियम का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने 1 अगस्त 2024 को इस विवाद से जुड़े 18 मामलों की सुनवाई की अनुमति दी थी। कोर्ट ने माना कि शाही ईदगाह का धार्मिक चरित्र निर्धारित करना आवश्यक है और कहा कि विवादित स्थल या तो मस्जिद है या मंदिर है, दोनों नहीं हो सकते। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की इस दलील को स्वीकार किया कि इस स्थल के धार्मिक चरित्र का निर्णय दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य के आधार पर होना चाहिए, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में था।
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विवाद की पृष्ठभूमि
कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद का संबंध उस भूमि से है, जहां भगवान कृष्ण के जन्म का दावा किया जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में वहां स्थित मंदिर को ध्वस्त कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया था। वर्षों से यह स्थल दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।
इस विवाद ने 1991 में बनाए गए पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम को चुनौती दी है, जिसका उद्देश्य स्वतंत्रता के दिन किसी भी धार्मिक स्थल के धार्मिक स्वरूप को स्थिर बनाए रखना था। हालाँकि, इस अधिनियम के तहत अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को विशेष छूट दी गई थी, जबकि मथुरा और काशी जैसे विवादित स्थल इस दायरे में आते हैं।