Ayodhya: प्राण प्रतिष्ठा के साथ 500 वर्षों का इंतजार हुआ खत्म, पीएम मोदी मुख्य यजमान बनकर की पूजा-अर्चना

प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या

अयोध्या। 500 सालों का इंतजार खत्म हो चुका है. भगवान श्री राम अयोध्या में विराजमान हो चुके हैं. 22 जनवरी भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा हो गया है। 23 जनवरी से आम भक्तों के लिए इसके कपाट खुल जाएंगे. राम मंदिर का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री नंरेंद्र मोदी के हाथो द्वारा किया गया । साथ ही इस कार्यक्रम में यजमान के रुप में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही चुना गया।

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जानिये अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास

इस इतिहास की शुरुआत सन् 1526 से हुई। ये उस साल की बात है जब मुगल शासक भारत आया उसके 2 साल बाद सूबेदार मीरबाकी ने मस्जिद बनवायी, जहां प्रभु श्री राम का जन्म हुआ । मीरबाकी ने बाबर के सम्मान में उस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा । ये वो दौर था जहां मुगल शासक का बोलबाला था । सन् 1528 से 1853 तक हिंदू मुखर नही हो पाये । 19वी सदी में मुगल शासन कमजो़र पड़ने लगा इसके बाद हिंदूओ ने ही आवाज उठायी और कहा कि प्रभु श्री राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया।

आइए समझने की कोशिश करते है कि 1000 साल की गुलामी के बाद जब देश आजाद हुआ तो अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर बने मंदिर के लिए किस-किस तारीख पर आंदोलन हुए.

1949 -देश की आजादी को लेकर काफी दंगे फसाद हो रहे थे। वहीं दूसरी ओर राम जन्म भूमि को लेकर भी जंग छिड़ी हुई थी। उसके 2 साल बाद 22 दिसंबर 1949 में मूर्ति स्थापित की गई ।

1950 -पहला मुकदमा आजादी के 1वर्ष बाद दायर किया हिंदू महासभा के सदस्य गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद की अदालत में मुकदमा दायर की ।

1959- रामानंद संप्रदाय के निर्मोही अखाड़े के छह सदस्यो ने मुकदमा दर्ज किया और मांग की कि रिसीवर प्रियदत राम को हटाकर पूजा अर्चना की परमिशन दी जाए ।

1993- में वकील हरिशंकर जैन ने उच्च न्यायालय में गुहार लगायी थी कि भगवान भूखे हैं भोग लगाया जाए करीब 25 दिन बाद 1 जनवरी 1993 में हरिनाथ तिलहरी ने दर्शन पूजन की अनुमति दी ।

2002- उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में मालिकाना हक जताने की सुनवाई शुरु हुई ।

2010- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 30 सितंबर 2010 को इस स्थल को तीन पक्षो में राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड में बराबर बराबर बांटने को कहा ।

2019- अंतिम फैसले की घड़ी आ गई और नवंबर 2019 को ये फैसला आया कि 2.77 एकड़ रामलला की जमीन को स्वामित्व मिला ।

2020- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधार शिला रखी गई । जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शामिल किया गया ।

2024- 134 सालों के बाद प्रभु श्री राम के जन्म स्थान को लेकर चला आ रहा विवाद अब खत्म हो चुका है। पूरे भारत में भगवान श्री राम आने की खुशियां मनायी जा रही है । अब प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के बाद 23 जनवरी 2024 से राम मंदिर आम लोगो के लिए खोल दिया जाएगा ।

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