Uttar Pradesh: उतार प्रदेश में होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनावों को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। इन चुनावों में बसपा और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। बसपा ने जहां लंबे अंतराल के बाद उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है, वहीं चंद्रशेखर आजाद भी लोकसभा में मिली सफलता के बाद इन चुनावों में पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं। दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है, जिससे चुनावी मैदान में गरमाहट बढ़ गई है।
सियासी माहौल गर्म
Uttar Pradesh में 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बसपा और चंद्रशेखर आजाद की पार्टी, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), के बीच इन सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। बसपा ने लंबे समय के बाद उपचुनाव में भाग लेने का फैसला किया है, जबकि लोकसभा में मिली सफलता के बाद चंद्रशेखर आजाद भी पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
बसपा और आजाद समाज पार्टी के उम्मीदवार
बसपा ने मिल्कीपुर और मीरापुर सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। मिल्कीपुर से रामगोपाल कोरी को टिकट दिया गया है, जबकि मीरापुर सीट पर मायावती ने चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को अपनी पार्टी में शामिल कर उन्हें उम्मीदवार बनाया है। दूसरी ओर, आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने गाजियाबाद सदर सीट से चौधरी सतपाल, मीरापुर से जाहिद हसन, और मझवां से धीरज मौर्या को उम्मीदवार घोषित किया है। पार्टी जल्द ही बाकी सात सीटों पर भी अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करेगी।
मायावती का रणनीतिक दांव
मायावती ने मीरापुर में चंद्रशेखर आजाद के करीबी शाह नजर को तोड़कर उन्हें अपने पक्ष में कर लिया है। शाह नजर, जो कि बसपा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं, पहले आजाद समाज पार्टी से जुड़े थे। इस कदम को मायावती का बड़ा राजनीतिक दांव माना जा रहा है, खासकर मीरापुर सीट पर।
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चुनाव आयोग की घोषणा का इंतजार
चुनाव आयोग ने अभी तक Uttar Pradesh की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दलों में जोड़-तोड़ और रणनीतिक प्रयास जारी हैं। उपचुनाव के लिए खाली हुई 10 सीटों में से पांच सीटें (सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी) सपा के पास थीं, जबकि फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीटें भाजपा के पास थीं। मीरापुर सीट भाजपा के सहयोगी दल, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद), के पास थी।