ISKCON Brahmacharis: हर सुबह मंदिरों में भगवान के नाम का मधुर उच्चारण, कीर्तन की गूंजती हुई आवाज और सेवा में लगे हुए ब्रह्मचारी यही नजारा होता है ISKCON यानी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस के आश्रमों का।
लेकिन अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है – क्या ISKCON के ब्रह्मचारियों को तनख्वाह मिलती है? उनका खर्च कैसे चलता है?
ISKCON ब्रह्मचारी: भक्ति में लीन जीवन
ISKCON के ब्रह्मचारी वे साधक होते हैं जिन्होंने सांसारिक जीवन से दूरी बनाकर खुद को पूरी तरह भगवान श्रीकृष्ण की सेवा में समर्पित कर दिया है। ये ब्रह्मचारी मंदिरों में पूजा-पाठ, प्रवचन देना, प्रसाद वितरण, कीर्तन करना, गीता का ज्ञान बाँटना, गौ सेवा और मंदिर की सफाई जैसे कार्यों में लगे रहते हैं।हालांकि, इसके बदले उन्हें कोई तय सैलरी नहीं मिलती। यानी, ISKCON ब्रह्मचारी नियमित वेतन नहीं लेते।
उनकी जरूरतें कैसे पूरी होती हैं?
ISKCON संस्था अपने ब्रह्मचारियों की सारी जरूरी चीजों का पूरा ध्यान रखती है। रहने के लिए आश्रम में जगह, खाने के लिए पौष्टिक भोजन और पहनने के लिए कपड़े, ये सब संस्था की ओर से ही मुहैया कराया जाता है। भोजन मुख्य रूप से भक्तों के दान से आता है। अगर कभी प्रचार यात्रा के दौरान या किसी सेवा में पैसों की जरूरत पड़ती है, तो संस्था जरूरत के हिसाब से आर्थिक मदद भी देती है।मगर यह मदद एक निश्चित सैलरी नहीं होती, बल्कि केवल आवश्यकता अनुसार दी जाती है।
मेडिकल और अन्य खर्चों का क्या होता है?
एचजी अमोघ लीला प्रभु ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि ब्रह्मचारियों के मेडिकल खर्च भी मंदिर की तरफ से उठाए जाते हैं। अगर प्रचार-प्रसार के लिए किसी यात्रा पर जाना हो तो यात्रा के लिए पैसे भी मंदिर ही देता है।
यहां तक कि अगर किसी सेवा के लिए लैपटॉप की जरूरत पड़े, तो वह भी मंदिर द्वारा ही उपलब्ध कराया जाता है। इस तरह ब्रह्मचारी बिना किसी आर्थिक चिंता के पूरी तरह भक्ति और सेवा के कामों में लगे रहते हैं।