Shocking Report: शादी की धारणा में बदलाव आ रहा है। पहले शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता था। एक बार शादी हो जाने के बाद पति-पत्नी के अलग होने की कल्पना (Shocking Report on marriage) भी नहीं की जाती थी। लेकिन समय के साथ-साथ, शादी और तलाक दोनों की संख्या बढ़ रही है।
छोटी-छोटी अनबन और तलाक
कई मामलों में, पति-पत्नी के बीच की छोटी-मोटी अनबन भी तलाक का कारण बन रही है। वहीं दूसरी ओर, अवैध संबंध, लिव-इन रिलेशनशिप, डेटिंग, और अमीर वर्ग में पत्नियों की अदला-बदली जैसे मामलों में वृद्धि हो रही है।
ये सब पहले केवल विदेशों में ही देखे जाते थे, जिन्हें भारत में घृणित और अश्लील माना जाता था। लेकिन अब ये सभी तौर-तरीके और रिश्ते भारत में भी फैल चुके हैं। इसी कारण से महिलाएं अब स्वतंत्र रहना चाहती हैं और शादी नहीं करना चाहती हैं।
भविष्य की संभावनाएं
इन सबका परिणाम यह होगा कि आने वाले छह से सात दशकों में, यानी लगभग 2100 तक शादी की अवधारणा ही समाप्त हो जाएगी। विशेषज्ञों द्वारा एक चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि शादी जैसे रिश्ते कैसे आकार ले रहे हैं।
सामाजिक बदलाव, बढ़ता व्यक्तिवाद और विकसित होती लैंगिक भूमिकाओं के चलते पारंपरिक विवाह अब टिक नहीं पाएंगे। उन्होंने उदाहरण दिए हैं कि युवा पीढ़ी अब करियर, व्यक्तिगत विकास और अनुभवों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।
लिव-इन रिलेशनशिप और अपरंपरागत रिश्ते
साथ ही, लिव-इन रिलेशनशिप और अपरंपरागत रिश्तों में भी वृद्धि हो रही है। इससे शादी की आवश्यकता ही समाप्त होती जा रही है। इसके अलावा, तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में प्रगति भी एक कारण है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस प्रगति से भविष्य में मानवीय संबंध अलग तरह के दिख सकते हैं।
इसके अलावा, जीवन यापन की बढ़ती लागत जैसे आर्थिक कारण भी लोगों को शादी के प्रति कम आकर्षित कर रहे हैं। खासकर महिलाएं अब आत्मनिर्भर जीवन जीना चाहती हैं। उन्हें शादी के बंधन की आवश्यकता महसूस नहीं होती।
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सामाजिक दृष्टिकोण
बहुत से लोग सोचते हैं कि शादी एक बंधन है, जिसमें आजादी नहीं होती, भविष्य नहीं होता, और करियर में भी आगे नहीं बढ़ा जा सकता। ऐसे विचार रखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे आजकल बहुत से लोग शादी करने के लिए तैयार नहीं हैं। शादी के बाद बच्चे पैदा करने से भी लोग कतराने लगे हैं। यदि यही प्रवृत्ति बनी रही, तो 2100 तक शादी जैसा कोई संबंध ही नहीं बचेगा।
जनसंख्या वृद्धि की दर
लैनसेट के एक अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में पृथ्वी पर 8 अरब लोग रहते हैं। आने वाले दिनों में इस संख्या में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है। वैश्विक स्तर पर जनसंख्या प्रजनन दर में तेज़ी से गिरावट आ रही है। यह माना जा रहा है कि यह बदलाव भविष्य में मानव समाज पर अधिक प्रभाव डालेगा।
1950 के दशक से सभी देशों में जन्म दर में कमी आई है। 1950 में जनसंख्या प्रजनन दर 4.84% थी, जो 2021 तक घटकर 2.23% रह गई है। अनुमान है कि 2100 तक यह दर 1.59% तक गिर जाएगी।